Ji/Jay Dhatu roop in Sanskrit/ जि/जय् धातु के/ का रूप संस्कृत में
🔅प्रत्येक वाक्य में एक क्रियापद होता है।🔆
यथा -अहम् लिखामि।
👉Each sentence has a verb. A verb is formed from a root. There are many roots in Sanskrit Language. A root is conjugated in 10 लकार .
👉A is used to denote time or Mood of action. We have learnt that "लट्" is used to denote present Tense, Past Tense and "लृट्" is used for Future Tense. Given underneath is the conjugation of the root "जि" in the Ten "लकार" as a matter of revision.
👉जि धातु का अर्थ- जितना ( To win)
जि =जितना
परस्मैपदी
Ji/Jay Dhatu roop in Sanskrit/ जि/जय् धातु के/ का रूप संस्कृत मेंलट् -लकार (Present Tense-वर्तमान काल )
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | जयति | ||
मध्यमपुरुष | जयसि | ||
उत्तमपुरुष | जयामि |
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | जिगाय | ||
मध्यमपुरुष | जिगयिथ, जिगेथ | ||
उत्तमपुरुष | जिगाय, जिगय |
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | जेता | जेतारौ | जेतारः |
मध्यमपुरुष | जेतासि | ||
उत्तमपुरुष | जेतास्मि |
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | जेष्यति | ||
मध्यमपुरुष | जेष्यसि | ||
उत्तमपुरुष | जेष्यामि |
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | जयतु, तात् | ||
मध्यमपुरुष | जय, तात् | ||
उत्तमपुरुष | जयानि |
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | अजयत् | ||
मध्यमपुरुष | अजयः | ||
उत्तमपुरुष | अजयम् |
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | जयेत् | ||
मध्यमपुरुष | जयेः | ||
उत्तमपुरुष | जयेयम् |
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | जीयात् | ||
मध्यमपुरुष | जीयाः | ||
उत्तमपुरुष | जीयासम् |
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | अजैषीत् | ||
मध्यमपुरुष | अजैषीः | ||
उत्तमपुरुष | अजैषम् |
एकवचन | द्विवचन | बहुवचन | |
प्रथमपुरुष | अजेष्यत् | ||
मध्यमपुरुष | अजेष्यः | अजेष्यतम् | अजेष्यत |
उत्तमपुरुष | अजेष्यम् |
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