Nara shabda roop in Sanskrit नर शब्द के रूप 

Nara shabda roop in Sanskrit
Nara shabda roop in Sanskrit 

संस्कृत व्याकरण में शब्द रूप की दृष्टि से शब्दों को अकारान्त, आकारान्त, इकारान्त,  ईकारान्त, उकारान्त, ऋकारान्त, वर्गों से विभाजित किया गया है। शब्द रूप इस बात पर भी निर्भर करता है, कि अमुक शब्द पुल्लिंग, स्त्रीलिंग अथवा नपुंसकलिंग है। (In Sanskrit grammar, words have been divided into categories such as Akaranta, Akaranta, Ikaranta, Ekaranta, Ukaranta, Rikaranta, in terms of word form. The word form also depends on whether such a word is masculine, feminine or neuter.)

यहाँ अकारान्त -पुंल्लिङ्ग- शब्दः नरः ( Nara  shabda roop in Sanskrit )शब्द का उदहारण दिया जा रहा है। विद्यार्थी इन्हे ध्यान पूर्वक पढ़ें तथा समझे -   


 Nara shabda roop in Sanskrit (नर शब्द के रूप संस्कृत में) -

 नर

 विभक्ति         

एकवचन  

द्विवचन  

बहुवचन  

 प्रथमा 

नरः  

नरौ  

नराः  

 द्वितीया 

नरम्  

नरौ  

 नरान् 

 तृतीया 

नरेण  

 नराभ्याम्

 नरैः  

 चतुर्थी 

नराय  

नराभ्याम्  

नरेभ्यः  

 पञ्चमी 

नरात्  

नराभ्याम् 

 नरेभ्यः  

 षष्ठी 

नरस्य   

 नरयोः

 नराणाम् 

सप्तमी  

नरे  

नरयोः  

नरेषु 

सम्बोधन  

हे नर

हे नरौ

हे नराः

 

 इसी प्रकार- बालक, राम,अज, अश्व, कुक्कुर, बिड़ाल, मृग, हरिण, गज, कृष्ण, चन्द्र, सूर्य, पर्वत, नद, देव, असुर दैत्य इत्यादि अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप होते है। 

Rule -र् ,ऋ तथा ष् के बाद 'न्' का 'ण्' हो जाता है; जैसे -नरेण, नराणाम्। किन्तु अन्त में 'न्' का रूप अपरिवर्तित रहते है। जैसे -नरान्, वृक्षान्।   


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