Types of Varn in Sanskrit/ Types of Swar in Sanskrit
Types of varn in Sanskrit/ Types of Swar in Sanskrit
वर्ण (Varn)-
भाषा की उस छोटी से छोटी ध्वनि को जिसे और कोई विभाजित न कर सके उसे वर्ण कहते है।
जैसे- क, ख, च, अ, इ, उ इत्यादि।
वर्ण के भेद -
वर्ण मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है।
1. स्वर वर्ण
2. व्यंजन वर्ण
What is Swar in Sanskrit?
1. स्वर वर्ण -
स्वर वर्ण वे वर्ण है, जो किसी अन्य वर्ण की सहायता के बिना उच्चारित होते है।
जैसे - अ, आ, इ इत्यादि।
स्वर 3 प्रकार के होते है।
यथा -
1. ह्रस्व -
ह्रस्व वे स्वर होते है जिनके उच्चारण में केवल एक मात्रा का अर्थात कम समय लगता है।
यथा -अ, इ, उ, ऋ, और लृ।
2. दीर्घ -
दीर्घ वे स्वर होते है जिनेक उच्चारण में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा दुगुना समय अर्थात दो मात्रा का समय लगता है।
यथा-
आ, ई, ऊ, ऋृ, ए, ऐ, ओ, और औ।
3. प्लुत-
प्लुत वे वर्ण होते है, जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से तिगुना अर्थात तीन मात्रा का समय लगता है।
यथा-
ओ३म, प्रभो३ इत्यादि
प्रत्येक स्वर के निम्नलिखित तीन भेद होते है -
उदात्त, अनुदात्त, स्वरित
1. उदात्त-
उदात्त वे स्वर होते है, जिनका उच्चारण तालु आदि स्थानों के उर्ध्व भाग से होता है।
2. अनुदात्त-
अनुदात्त वे स्वर होते है, जिनका उच्चारण तालु आदि स्थानों के अधो भाग से होता है।
3. स्वरित-
स्वरित वे स्वर होते है, जिनका उच्चारण उदात्त और अनुदात्त स्वरों का समाहार होता है।
स्वर के दो अन्य भेद भी है -
अनुनासिक, अननुनासिक।
1. अनुनासिक -
अनुनासिक वे स्वर होते है, जिनके उच्चारण में नासिका का अधिक प्रयोग किया जाता है।
जैसे -एँ, ऊँ इत्यादि।
2. अननुनासिक-
अननुनासिक वे स्वर होते है, जिनके उच्चारण में नासिका का प्रयोग नहीं किया जाता हैं।
जैसे - अ, ए, ऊ इत्यादि।
Post a Comment
please do not enter any spam link in the comment box.