गुरु पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित/Sanskrit Slokas on Guru

गुरु पर संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित

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गुरुरात्मवतां शास्ता शास्ता राजा दुरात्मनाम् ।

अथा प्रच्छन्नपापानां शास्ता वैवस्वतो यमः ॥

Hindi Translation: आत्मवान लोगो के ऊपर गुरु शासन करते है, दृष्टों पर शासन एक राजा करता हैं, और गुप्त तरीके से पाप करने वालो पर याम शासन करते हैं अर्थात अनुशासन सभी पर एक सामान होता हैं।

किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च ।

दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम् ॥

Hindi Translation: इतना सुनना-बोलना नहीं, लाखों शास्त्र भी नहीं। गुरु के बिना पूर्ण शांति संभव नहीं है।


किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च ।

दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम् ॥


Hindi Translation: बहुत कुछ कहने से क्या होगा? करोड़ों शास्त्रों का क्या होगा? बिना गुरु के मन की पूर्ण शांति मिलना दुर्लभ है।
Sanskrit Slokas on Guru with meaning

गुकारस्त्वन्धकारस्तु रुकार स्तेज उच्यते ।

अन्धकार निरोधत्वात् गुरुरित्यभिधीयते ॥

Hindi Translation: 'गु'कार यानि अंधकार, और 'रु'कार याने तेज; जो अंधकार का (ज्ञान का प्रकाश देकर) निरोध करता है, वही गुरु कहा जाता है ।


शरीरं चैव वाचं च बुद्धिन्द्रिय मनांसि च ।

नियम्य प्राञ्जलिः तिष्ठेत् वीक्षमाणो गुरोर्मुखम् ॥

Hindi Translation: शरीर, वाणी, बुद्धि, इंद्रिय और मन को संयम में रखकर, हाथ जोडकर गुरु के सन्मुख देखना चाहिए ।


विद्वत्त्वं दक्षता शीलं सङ्कान्तिरनुशीलनम् ।

शिक्षकस्य गुणाः सप्त सचेतस्त्वं प्रसन्नता ॥

Hindi Translation: विद्वत्व, दक्षता, शील, संक्रांति, अनुशीलन, सचेतत्व, और प्रसन्नता – ये सात शिक्षक के गुण हैं।
Sanskrit Slokas on Guru with meaning Hindi

गुरोर्यत्र परीवादो निंदा वापिप्रवर्तते ।

कर्णौ तत्र विधातव्यो गन्तव्यं वा ततोऽन्यतः ॥

Hindi Translation: जहाँ गुरु की निंदा होती है वहाँ उसका विरोध करना चाहिए। यदि यह शक्य न हो तो कान बंद करके बैठना चाहिए; और (यदि) वह भी शक्य न हो तो वहाँ से उठकर दूसरे स्थान पर चले जाना चाहिए।


विनय फलं शुश्रूषा गुरुशुश्रूषाफलं श्रुत ज्ञानम् ।

ज्ञानस्य फलं विरतिः विरतिफलं चाश्रव निरोधः ॥

Hindi Translation: विनय का फल सेवा है, गुरुसेवा का फल ज्ञान है, ज्ञान का फल विरक्ति है, और विरक्ति का फल आश्रवनिरोध है।


यः समः सर्वभूतेषु विरागी गतमत्सरः ।

जितेन्द्रियः शुचिर्दक्षः सदाचार समन्वितः ॥

Hindi Translation: गुरु सभी प्राणियों के प्रति घृणा और ईर्ष्या से मुक्त है। वे जीतेन्द्रिय, पवित्र, दक्ष और सदाचारी होते हैं ।


बहवो गुरवो लोके शिष्य वित्तपहारकाः ।

क्वचितु तत्र दृश्यन्ते शिष्यचित्तापहारकाः ॥

Hindi Translation: जगत में अनेक गुरु शिष्य का वित्त अर्थात धन हरण करनेवाले होते हैं; परंतु, शिष्य का चित्त (मन) हरण करनेवाले गुरु शायद ही दिखाई देते हैं।


दृष्टान्तो नैव दृष्टस्त्रिभुवनजठरे सद्गुरोर्ज्ञानदातुः

स्पर्शश्चेत्तत्र कलप्यः स नयति यदहो स्वहृतामश्मसारम् ।

न स्पर्शत्वं तथापि श्रितचरगुणयुगे सद्गुरुः स्वीयशिष्ये

स्वीयं साम्यं विधते भवति निरुपमस्तेवालौकिकोऽपि ॥

Hindi Translation: तीनों लोक, स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल में ज्ञान देनेवाले गुरु के लिए कोई उपमा नहीं दिखाई देती । गुरु को पारसमणि के जैसा मानते है, तो वह ठीक नहीं है, कारण पारसमणि केवल लोहे को सोना बनाता है, पर स्वयं जैसा नहीं बनाता ! सद्गुरु तो अपने चरणों का आश्रय लेनेवाले शिष्य को अपने जैसा बना देता है; इस लिए गुरुदेव के लिए कोई उपमा नहि है, गुरु तो अलौकिक है ।

बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।

महामोह तम पुंज जासु बचन रबिकर निकर।।

Hindi Translation: गुरु को नारायण का रूप माना गया हैं। हमेशा हमलोग अपने गुरु के चरण कमलों की वंदना करते हैं।ऐसा कहा जाता है, कि सूरज के उगने से फैला सारा अँधेरा नष्ट हो जाता हैं। इसी तरह गुरु हमारे मोहरूपी सभी अंधकार को ख़त्म कर देता हैं।

Sanskrit Slokas on Guru

सर्वाभिलाषिणः सर्वभोजिनः सपरिग्रहाः ।

अब्रह्मचारिणो मिथ्योपदेशा गुरवो न तु ॥

Hindi Translation: अभिलाषा, भोग करना, संग्रह करना, ब्रह्मचर्य का पालन न करना, और मिथ्या करने वाले कभी भी गुरु नहीं करते हैं।


Teachers Day Massage in Sanskrit

दुर्लभं त्रयमेवैतत् देवानुग्रहहेतुकम् ।

मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरुष संश्रयः ॥

Hindi Translation: मनुष्यत्व, सत्पुरुषों, और मुमुक्षत्व का सहवास करना ईश्वरानुग्रह को कराने वाले ये तीन मिलना अति दुर्लभ होता है।

शिक्षक दिवस पर श्लोक (Teachers Day Status in Sanskrit)


किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च ।

दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम् ॥

Hindi Translation: बहुत ज्यादा बोलने से क्या? करोडो शास्त्रो को पढने से क्या? चित के शाति ही परम शांति, और यह सब गुरु के बिना मिलना मुश्किल होता है।


निवर्तयत्यन्यजनं प्रमादतः स्वयं च निष्पापपथे प्रवर्तते ।

गुणाति तत्त्वं हितमिच्छुरंगिनाम्  शिवार्थिनां यः स गुरु र्निगद्यते ॥

Hindi Translation: जो किसी के भी प्रमाद को करने से रोकते है, स्वयं कभी भी निष्पाप के रास्ते चल कर, दुसरो के लिए हित और कल्याण रखते है, उसको तत्वबोध करवाते है, उन्हें ही गुरु कहते हैं।



धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः ।

तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते ॥

Hindi Translation:
धर्म के ज्ञाता, धर्मानुसार आचरण रखने वाले, धर्मपरायण और सभी तरह शास्त्रों में से तत्वों का आदेश को रखने गुरु कहते है।

Teachers Day Status in Sanskrit

योगीन्द्रः श्रुतिपारगः समरसाम्भोधौ निमग्नः सदा

शान्ति क्षान्ति नितान्त दान्ति निपुणो धर्मैक निष्ठारतः ।

शिष्याणां शुभचित्त शुद्धिजनकः संसर्ग मात्रेण यः

सोऽन्यांस्तारयति स्वयं च तरति स्वार्थं विना सद्गुरुः ॥

Hindi Translation: सभी योगियों में सबसे श्रेष्ठ, सागर में समरस, श्रुतियों को समजा, शांति-क्षमा-दमन ऐसे गुणोंवाला, अपने संसर्ग से शिष्यों के चित्त को शुद्ध करनेवाले, धर्म में एकनिष्ठ, ऐसे सद्गुरु, बिना स्वार्थ के सबको विद्वान बनाना, और स्वयं भी तर जाते हैं।

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