Motivational Slokas for Students in Sanskrit with meaning in English/Motivational Shlokas for Students
कार्यार्थी भजते लोकं यावत्कार्य न सिद्धति ।
उत्तीर्णे च परे पारे नौकायां किं प्रयोजनम् ।।
Meaning (English): People praise others until the tasks are accomplished. People forget the other person after the job is done. Just like a boat is of no use after crossing the river.
Meaning (Hindi): जब तक काम पूरे नहीं होते हैं तब तक लोग दूसरों की प्रशंसा करते हैं। काम पूरा होने के बाद लोग दूसरे व्यक्ति को भूल जाते हैं। ठीक उसी तरह जैसे नदी पार करने के बाद नाव का कोई उपयोग नहीं रह जाता है।
Motivational Sanskrit shlokas With meaning in Hindi
ब्राहम्णम् दशवर्षम् तु शतवर्ष तु भूमियम् ।
पितापुत्रौ विजानीयाद् ब्राह्मणस्तु तयोः ।।
Meaning (English): If a Brahmin is ten years old and a Kshetriya is a hundred years old, then the Brahmin in between the two, despite being very young in age, is in the place of a father, and a hundred year old Kshatriya is considered to be in the place of a son in front of that ten year old child. Is.
Meaning (Hindi): यदि ब्राह्मण दस वर्ष का है,और क्षेत्रिय सौ वर्ष का है,तो इन दोनों के मध्य में ब्राह्मण आयु में अत्यंत छोटा होने पर भी पिता के स्थान वाला है,और सौ वर्ष का क्षत्रिय उस दस वर्षीय बालक के समक्ष पुत्र के स्थान वालावसमझने योग्य है।
ब्राह्मणकुशलं पृच्छेत्क्षत्रबन्धुमनामयम् ।
वैश्यम् क्षेमं समागम्य शूद्रमारोग्यमेव च ।।
Meaning (English): Seeing a Brahmin, ask about his well-being, ask for fame from a Kshatriya, welfare from a Vaishya and health from a Shudra.
Meaning (Hindi): ब्राह्मण को देखकर उससे कुशल पूछो , क्षत्रिय बन्धु से अनामय, वैश्य से क्षेम और शूद्र व्यक्ति से आरोग्य पूछना चाहिए।
आकारसदृशप्रज्ञः प्रज्ञया सदृशागमः ।
आगमैः सदृशारम्भ आरम्भसदृशोदयः ।।
Meaning (Hindi): जैसा उसका शरीर था, वैसी ही उसकी बुद्धि भी थी, जैसी उसकी बुद्धि थी, वैसा ही उसे शास्त्रों का भी ज्ञान था, जैसा उसका शास्त्राभ्यास था, वैसे ही उसके उद्यम भी थे, और जैसे उसके उद्यम थे, वैसी ही उसकी सफलता भी होती है।
इमं लोकं मातृभक्त्या तु मध्यमन् ।
गुरुशुश्रूषया त्वेवं ब्रह्मवोकं समश्नुते।।
Meaning (Hindi): मनुष्य अपनी माता की सेवा से भूलोक को, और पिता की सेवा से स्वर्ग लोक को, तथा गुरू की भक्ति सेवा सेवा से बिष्णु लोक को प्राप्त होता है।
यदी स्त्री यद्यवरजः श्रेयः किञ्चित्समाचरेत् ।
तत्सर्वमाचरेद्युक्तो यत्र वाऽस्य रमेन्मनः ।।
Meaning (English): In the Guru's ashram, the Guru's wife etc. and even the mortal Shudras under them should do the best deeds, a celibate must do them, only those classical deeds are worthy of being performed, in which one's mind is interested.
Meaning (Hindi): गुरु के आश्रम में गुरु पत्नी आदी और उनके अधीन मृत्यु शूद्र भी श्रेष्ठकर्म करते हों, वे बी ब्रह्मचारी को अवश्य करने चाहिए, शास्त्रीय कर्म वे ही आचरण योग्य है, जिनमें उनका मन रूचि रखता हो।
तयोर्नित्यम् प्रियम् कुर्यादाचार्यस्य च सर्वदा ।
तेष्वेव त्रिषु तुष्टेषु तपः सर्व समाप्यते ।।
Meaning (English): A man should always love his parents and his teacher because when these three are happy, all his penances are completed.
Meaning (Hindi): मनुष्य का अपने माता-पिता तथा आचार्य का सदैव प्रिय ही करना चाहिए क्योंकि इन तीनों के प्रसन्न होने पर सम्पूर्ण तपस्याएं पूर्ण हो जाती है।
Motivational Slokas for Students
यद्यत्संद्दश्यते लोके सर्वं तत्कर्मसम्भवम् ।
सर्वां कर्मांनुसारेण जन्तुर्भोगान्भुनक्ति वै ।।
Meaning (English): The happiness or sorrow that is seen among people arises from karma. All beings enjoy or suffer according to their past karmas.
Meaning (Hindi): लोगों के बीच जो सुख या दुःख देखा जाता है कर्म से पैदा होता है। सभी प्राणी अपने पिछले कर्मों के अनुसार आनंद लेते हैं या पीड़ित होते हैं।
बालः सम्मानजन्मा वा शिष्यो वा यज्ञकर्मणि |
अध्यापयन् गुरूसुतो गुरुवन्भानमर्हति ।।
Meaning (Hindi): गुरुपुत्र अल्पवयस्क, समानवयस्क हो, अध्ययन करने वाला विद्यार्थी हो, अध्यापन कम करता हो, यज्ञ में प्रवीण ऋत्विक हो या ऋत्विक नही हो, वह सदा सम्मान योग्य होता है।
पिता वै गार्हपत्योऽग्निर्माताग्निर्दक्षिणः स्मृतः ।
गुरुराहवनीयस्तु साग्नित्रेता गरीयसी ।।
Meaning (Hindi): पिता गार्हपत्य अग्नि और माता दक्षिण नाम की अग्नि कही गयी है, तथा आचार्य (गुरु) को आवहनीय अग्नि बताया गया है, इस प्रकार ये तीन अग्नियां अति श्रेष्ठ मानी गयी है।
अभ्यञ्जनं स्नापनं च गात्रोत्सादनमेव च ।
गुरुपत्न्या न कार्याणी केशानां च प्रसाधनम् ।।
Meaning (Hindi): शिष्य को गुरु स्त्रियों के शरीर में तेल की मालीश, स्नान कराना, उबटन लगाना, उनके बाल झाडना, या पुष्पादि से श्रृंगार करना इन कार्यों को नहीं करना करना चाहिए।
Motivational Sanskrit shlokas With meaning in Hindi
तेषां शेयाणां शुश्रूषा परम् तप अच्यते ।
न तैरभ्यननुज्ञातो धर्ममन्य समाचरेत् ।।
Meaning (Hindi): अपने माता पिता और आचार्य (गुरु) की सेवा करना ही श्रेष्ठ तप बताया गया है, इसीलिए उनकी आज्ञा के बिना मनुष्य को अन्य किसी धर्म का आचरण नहीं करना चाहिए।
श्रेयःसु गुरुवद्दृत्तिं नित्यमेव समाचरेत् ।
गुरुपुत्रेषु चार्येषु रूरोश्चैव स्वबन्धुषु।।
Meaning (Hindi): शिष्य को विद्या और तप के कारण श्रेष्ठ पुरुषों में मन वचन कर्म से उत्तमजनों में, गुरुपुत्रों में और गुरु के बन्धु बान्धवों में सदैव गुरू तुल्य व्यवहार करना चाहिए।
Motivational Sanskrit sloka With meaning in English for Students
यस्य वाङ्मनसी शुद्धे सम्यग्गुप्ते च सर्वदा ।
स वै सर्वमवाप्नोति वेदान्तोपगतं फलम् ।।
Meaning (English): The person whose speech and mind remain safe because they are very pure and controlled, only he definitely achieves the ultimate result of self-welfare described in the Shruti sentences.
Meaning (Hindi): जिस मनुष्य की वाणी और मन बहुत ही निर्मल एवं नियंत्रित होने के कारण सुरक्षित रहते हैं, वही अवश्यमेव श्रुति वाक्यों में वर्णित आत्मकल्याण रूप परम फल को प्राप्त करता है।
दयाहीनं निष्फलं स्यान्नास्ति धर्मस्तु तत्र हि ।
एते वेदा अवेदाः स्युर्दया यत्र न विद्यते ।।
Meaning (English): There is no reward in work done without mercy, there is no religion in work where there is no mercy. There Vedas also become Vedas.
Meaning (Hindi): बिना दया के किये गये काम में कोई फल नहीं मिलता, ऐसे काम में धर्म नहीं होता जहां दया नहीं होती। वहां वेद भी अवेद बन जाते हैं।
मूर्खा यत्र न पूज्यते धान्यं यत्र सुसंचितम् ।
दम्पत्यो कलहो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ।।
Meaning (Hindi): जहाँ पर मूर्खो की पूजा नहीं होती (अर्थात् उनकी सलाह नहीं मानी जाती), धान्य को भलीभाँति संचित करके रखा जाता है और पति पत्नी के मध्य कलह नहीं होता वहाँ लक्ष्मी स्वयं आ जाती हैं।
एकादशम् मनोज्ञयम् स्वगुणेनोभयात्मकम् ।
यञ्स्मिजिते जितावेतौ भवतः पञ्चकौ गणौ।।
Meaning (English): Due to the influence of its qualities, the mind is the eleventh dual, i.e. the senses of knowledge and the senses of action, that is why when the mind is conquered, both the senses of knowledge and the senses of action are automatically conquered.
Meaning (Hindi): मन अपने गुणों के प्रभाव से ग्यारहवीं उभयात्मक अर्थात ज्ञानेन्द्रिय और कर्मेन्द्रिय भी है, इसीलिए मन के जीत लेने पर ये दोनों ज्ञान व कर्मेन्द्रियां स्वमेव विजित हो जाती है।
Motivational Sanskrit shloka With meaning in Hindi
मृगाः मृगैः संगमुपव्रजन्ति गावश्च गोभिस्तुरंगास्तुरंगैः |
मूर्खाश्च मूर्खैः सुधयः सुधीभिः समानशीलव्यसनेष सख्यम्।।
Meaning (Hindi): हिरण हिरण का अनुरण करता है, गाय गाय का अनुरण करती है, घोड़ा घोड़े का अनुरण करता है, मूर्ख का अनुरण करता है और बुद्धिमान का अनुरण करता है। मित्रता समान गुण वालों में ही होती है।
शतेषु जायते शूरः सहस्त्रेषु च पण्डितः।
वक्ता दशसहस्त्रेष दाता भवति वान वा।।
सौ लोगों में एक शूर पैदा होता है, हजार लोगों में एक पण्डित पैदा होता है, दस हजार लोगों में एक वक्ता पैदा होता है और दाता कोई बिरला ही पैदा होता है।
परपत्नी तु या स्त्री स्यादसम्बन्धां च योनितः ।
तां ब्रू याद्भवतीत्येवं सुभगे भगिनीति च ।।
Meaning (Hindi): दूसरे की पत्नी के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए, इसको स्पष्ट करते है, जो स्त्री पर पत्नी तथा यौन सम्बन्ध से रहित है, उससे सदा सुभागे भगिनी ऐसे शिष्ट शब्दों से वार्ता करनी चाहिए।
Motivational Slokas for Students with meaning
वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी ।
एतानी मान्यस्थानानि गरीयो यद्यदुत्तरम् ।।
Meaning (Hindi): धन, बन्धुभाव, आयु या अवस्था, यज्ञादि कर्म तथा वेद विदधा ये सभी पूज्य स्थान वाले हैं, एवं सम्मान दायक हे, परन्तु इसमें जो-जो बाद के है, वे ही श्रेष्ठ हैं।
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किं ।
लोचनाभ्याम विहीनस्य, दर्पण:किं करिष्यति ।।
Meaning (English): A person who has no conscience of his own. What will the scriptures do with that? Just like a mirror is useless for a blind person.
Meaning (Hindi): जिस व्यक्ति के पास स्वयं का विवेक नहीं है। शास्त्र उसका क्या करेगा? जैसे नेत्रहीन व्यक्ति के लिए दर्पण व्यर्थ है।
Motivational Slokas for Students
लोकान्तरसुखं पुण्यं तपोदानसमुद्भवम् ।
संततिः शुद्धवंश्या हि परत्रेह न शर्मणे ।।
Meaning (English): The virtue that arises from penance and charity brings happiness in the next world, and the offspring of a pure lineage brings happiness both in this world and the next world.
Meaning (Hindi): जो पुण्य तप और दान से उत्पन्न होता है,वह परलोक में सुखकारी होता है, और पवित्र वंश की संतति इस लोक और परलोक दोनों में सुख देती है।
अपि मेरुसमं प्राज्ञमपि शुरमपि स्थिरम् ।
तृणीकरोति तृष्णैका निमेषेण नरोत्तमम् ।।
Meaning (Hindi): भले ही कोई व्यक्ति मेरु पर्वत की तरह स्थिर, चतुर, बहादुर दिमाग का हो लालच उसे पल भर में घास की तरह खत्म कर सकता है।
Motivational Sanskrit shlokas With meaning in Hindi
वेदास्त्यागश्च यज्ञाश्च नियमाश्च तपांसि च ।
न विप्रदुष्टभावस्य सिद्धिं गच्छन्ति कहिंचित् ।।
Meaning (English): The study of Vedas, renunciation, rituals of Yagya, following the rules and practices of a person with a polluted heart never achieves success.
Meaning (Hindi): दूषित हृदय वाले व्यक्ति का वेदाध्ययन, त्याग, यज्ञादि का अनुष्ठान, यम-नियमों का पालन, अभ्यास ये कभी सिद्धि प्राप्त नहीं करते है।
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