संस्कृत श्लोक/संस्कृत श्लोक अर्थ सहित/Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning

संस्कृत श्लोक/संस्कृत श्लोक अर्थ सहित/Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning

Here are some Sanskrit slokas with Hindi Meaning.

निश्चित्वा यः प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मणः।

अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते।।

Hindi Meaning: जिसके प्रयास एक दृढ़ प्रतिबध्दता से शुरू होते हैं जो कार्य पूर्ण होने तक ज्यादा आराम नहीं करते हैं जो समय बर्बाद नहीं करते हैं और जो अपने विचारों पर नियन्त्रण रखते हैं वह बुद्धिमान है।


BEST SANSKRIT SHLOK IN HINDI

येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।

ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।।

Hindi Meaning: जिस मनुष्यों में विद्या का निवास है, न मेहनत का भाव, न दान की इच्छा और न ज्ञान का प्रभाव, न गुणों की भिव्यक्ति और न धर्म पर चलने का संकल्प, वे मनुष्य नहीं वे मनुष्य रूप में जानवर ही धरती पर विचरते हैं।


स्तस्य भूषणम दानम, सत्यं कंठस्य भूषणं।

श्रोतस्य भूषणं शास्त्रम,भूषनै:किं प्रयोजनम।।

Hindi Meaning: हाथ का आभूषण दान है, गले का आभूषण सत्य है, कान की शोभा शास्त्र सुनने से है, अन्य आभूषणों की क्या आवश्यकता है।


यद्यत्संद्दश्यते लोके सर्वं तत्कर्मसम्भवम्।

सर्वां कर्मांनुसारेण जन्तुर्भोगान्भुनक्ति वै।।

Hindi Meaning: लोगों के बीच जो सुख या दुःख देखा जाता है कर्म से पैदा होता है। सभी प्राणी अपने पिछले कर्मों के अनुसार आनंद लेते हैं या पीड़ित होते हैं।


दयाहीनं निष्फलं स्यान्नास्ति धर्मस्तु तत्र हि।

एते वेदा अवेदाः स्यु र्दया यत्र न विद्यते।।

Hindi Meaning: बिना दया के किये गये काम में कोई फल नहीं मिलता, ऐसे काम में धर्म नहीं होता जहां दया नहीं होती। वहां वेद भी अवेद बन जाते हैं।


यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किं।

लोचनाभ्याम विहीनस्य, दर्पण:किं करिष्यति।।

Hindi Meaning: जिस व्यक्ति के पास स्वयं का विवेक नहीं है। शास्त्र उसका क्या करेगा? जैसे नेत्रहीन व्यक्ति के लिए दर्पण व्यर्थ है।


अपि मेरुसमं प्राज्ञमपि शुरमपि स्थिरम्।

तृणीकरोति तृष्णैका निमेषेण नरोत्तमम्।।

Hindi Meaning: भले ही कोई व्यक्ति मेरु पर्वत की तरह स्थिर, चतुर, बहादुर दिमाग का हो लालच उसे पल भर में घास की तरह खत्म कर सकता है।

SANSKRIT SHLOK IN HINDI (संस्कृत श्लोक अर्थ सहित)


अधमाः धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः।

उत्तमाः मानमिच्छन्ति मानो हि महताम् धनम्।।

Hindi Meaning: निम्न कोटि के लोग सिर्फ धन की इच्छा रखते हैं। मध्यम कोटि का व्यक्ति धन और सम्मान दोनों की इच्छा रखता है। वहीं एक उच्च कोटि के व्यक्ति के लिए सिर्फ सम्मान ही मायने रखता है। सम्मान से अधिक मूल्यवान है।


न कश्चित कस्यचित मित्रं न कश्चित कस्यचित रिपु:।

व्यवहारेण जायन्ते, मित्राणि रिप्वस्तथा।।

Hindi Meaning: न कोई किसी का मित्र होता है, न कोई किसी का शत्रु। व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं।,

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

विद्यां चाविद्यां च यस्तद्वेदोभ्य सह।

अविद्यया मृत्युं तीर्त्वाऽमृतमश्नुते।।

Hindi Meaning: जो दोनों को जानता है, भौतिक विज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक विज्ञान भी, पूर्व से मृत्यु का भय अर्थात् उचित शारीरिक और मानसिक प्रयासों से और उतरार्द्ध अर्थात् मन और आत्मा की पवित्रता से मुक्ति प्राप्त करता है।

Sanskrit sloka on vidya

विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।

पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।

Hindi Meaning: ज्ञान विनम्रता प्रदान करता है, विनम्रता से योग्यता आती है और योग्यता से धन प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति धर्म के कार्य करता है और सुखी रहता है।


कार्यार्थी भजते लोकं यावत्कार्य न सिद्धति।

उत्तीर्णे च परे पारे नौकायां किं प्रयोजनम्।।

Hindi Meaning: जब तक काम पूरे नहीं होते हैं तब तक लोग दूसरों की प्रशंसा करते हैं। काम पूरा होने के बाद लोग दूसरे व्यक्ति को भूल जाते हैं। ठीक उसी तरह जैसे नदी पार करने के बाद नाव का कोई उपयोग नहीं रह जाता है।


दुर्जन:स्वस्वभावेन परकार्ये विनश्यति।

नोदर तृप्तिमायाती मूषक:वस्त्रभक्षक:।।

Hindi Meaning: दुष्ट व्यक्ति का स्वभाव ही दूसरे के कार्य बिगाड़ने का होता है। वस्त्रों को काटने वाला चूहा पेट भरने के लिए कपड़े नहीं कटता।

LATEST SANSKRIT SHLOKAS IN HINDI


न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि।

व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।

Hindi Meaning: न चोर चुरा सकता है, न राजा छीन सकता है, न इसका भाइयों के बीच बंट वारा होता है और न ही संभलना कोई भर है। इसलिए खर्च करने से बढ़ने वाला विद्या रुपी धन, सभी धनों से श्रेष्ठ है।

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात न ब्रूयात सत्यं प्रियम।

प्रियं च नानृतं ब्रूयात एष धर्म: सनातन:।।

Hindi Meaning: सत्य बोलो, प्रिय बोलो, अप्रिय लगने वाला सत्य नहीं बोलना चाहिए प्रिय लगने वाला असत्य भी नहीं बोलना चाहिए।


शतेषु जायते शूरः सहस्रेषु च पण्डितः।

वक्ता दशसहस्रेषु दाता भवति वा न वा।।

Hindi Meaning: सौ लोगों में से एक शूरवीर होता है। हजार लोगों में एक विद्वान होता है। दस हजार लोगों में एक अच्छा वक्ता होता है। वही लाखों में बस एक ही दानी होता है।


काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमतां।

व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।।

Hindi Meaning: बुद्धिमान लोग काव्य-शास्त्र का अध्ययन करने में अपना समय व्यतीत करते हैं। जबकि मुर्ख लोग निंद्रा, कलह और बुरी आदतों में अपना समय बिताते हैं।


गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।

Hindi Meaning: गुरू ही ब्रह्मा हैं, गुरू ही विष्णु हैं, गुरू ही शंकर है, गुरू ही साक्षात परमब्रह्म हैं। ऐसे गुरू का मैं नमन करता हूं।


पृथ्वियां त्रीणि रत्नानि जलमन्नम सुभाषितं।

मूढ़े: पाधानखंडेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।।

Hindi Meaning: पृथ्वी पर तीन रत्न हैं जलअन्न और शुभ वाणी पर मुर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को रत्न की संज्ञा देते हैं।

Sanskrit sloka on knowledge

विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन।

स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।।

Hindi Meaning: एक विद्वान और राजा की कभी कोई तुलना नहीं की जा सकती। क्योंकि राजा तो केवल अपने राज्य में सम्मान पाता है वही एक विद्वान हर जगह सम्मान पाता है।


भूमे: गरीयसी माता,स्वर्गात उच्चतर: पिता।

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गात अपि गरीयसी।।

Hindi Meaning: भूमि से श्रेष्ठ माता है, स्वर्ग से ऊंचे पिता हैं, माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं।


अग्निना सिच्यमानोऽपि वृक्षो वृद्धिं न चाप्नुयात्।

तथा सत्यं विना धर्मः पुष्टिं नायाति कर्हिचित्।।

Hindi Meaning: आग से सींचे गए पेड़ कभी बड़े नहीं होते। उसी प्रकार सत्य के बिना धर्म की स्थापना संभव नहीं है।


शैले शैले न माणिक्यं,मौक्तिम न गजे गजे।

साधवो नहि सर्वत्र,चंदन न वने वने।।

Hindi Meaning: प्रत्येक पर्वत पर अनमोल रत्न नहीं होते, प्रत्येक हाथी के मस्तक में मोती नहीं होता। सज्जन लोग सब जगह नहीं होते और प्रत्येक वन में चंदन नही पाया जाता।

SANSKRIT SHLOK WITH MEANING IN HINDI

Sanskrit Sloka on Education

विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।

पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।

Hindi Meaning: विद्या हमें विनम्रता प्रदान करती है। विनम्रता से योग्यता आती है व योग्यता से हमें धन प्राप्त होता है और इस धन से हम धर्म के कार्य करते है और सुखी रहते है।


माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।

न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा।।

Hindi Meaning: जो माता पिता अपने बच्चो को शिक्षा से वंचित रखते हैं, ऐसे माँ बाप बच्चो के शत्रु के समान है। विद्वानों की सभा में अनपढ़ व्यक्ति कभी सम्मान नहीं पा सकता वह हंसो के बीच एक बगुले के सामान है।


न विना परवादेन रमते दुर्जनोजन:।

काक:सर्वरसान भुक्ते विनामध्यम न तृप्यति।।

Hindi Meaning: लोगों की निंदा किये बिना दुष्ट व्यक्तियों को आनंद नहीं आता। जैसे कौवा सब रसों का भोग करता है।

SANSKRIT SHLOK WITH MEANING

परंतु गंदगी के बिना उसकी तृप्ति नहीं होती।

सुखार्थिनः कुतोविद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम्।

सुखार्थी वा त्यजेद् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम्।।

Hindi Meaning: सुख चाहने वाले को विद्या कहाँ से, और विद्यार्थी को सुख कहाँ से, सुख की इच्छा रखने वाले को विद्या और विद्या की इच्छा रखने वाले को सुख का त्याग कर देना चाहिए।


मूर्खा यत्र न पूज्यते धान्यं यत्र सुसंचितम्।

दंपत्यो कलहं नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागतः।।

Hindi Meaning: जहाँ मूर्ख को सम्मान नहीं मिलता हो, जहाँ अनाज अच्छे तरीके से रखा जाता हो और जहाँ पति-पत्नी के बीच में लड़ाई नहीं होती हो, वहाँ लक्ष्मी खुद आ जाती है।


न विना परवादेन रमते दुर्जनोजन:।

काक:सर्वरसान भुक्ते विनामध्यम न तृप्यति।।

Hindi Meaning: लोगों की निंदा (बुराई) किये बिना दुष्ट (बुरे) व्यक्तियों को आनंद नहीं आता। जैसे कौवा सब रसों का भोग करता है परंतु गंदगी के बिना उसकी संतुष्टि नहीं होती।

सेवितव्यो महावृक्ष: फ़लच्छाया समन्वित:।

यदि देवाद फलं नास्ति,छाया केन निवार्यते।।

Hindi Meaning: एक विशाल वृक्ष की सेवा करनी चाहिए। क्योंकि वह फल और छाया से युक्त होता है। यदि किसी दुर्भाग्य से फल नहीं देता तो उसकी छाया कोई नहीं रोक सकता है।


मूर्खस्य पञ्च चिह्नानि गर्वो दुर्वचनं तथा।

क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः।।

Hindi Meaning: एक मुर्ख के पांच लक्षण होते है घमण्ड, दुष्ट वार्तालाप, क्रोध, जिद्दी तर्क और अन्य लोगों के लिए सम्मान में कमी।


पुस्तकस्था तु या विद्या,परहस्तगतं च धनम्।

कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम्।।

Hindi Meaning: किसी पुस्तक में रखी विद्या और दूसरे के हाथ में गया धन। ये दोनों जब जरूरत होती है तब हमारे किसी भी काम में नहीं आती।


देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:।

गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः।।

Hindi Meaning: भाग्य रूठ जाये तो गुरू रक्षा करता है। गुरू रूठ जाये तो कोई नहीं होता। गुरू ही रक्षक है, गुरू ही शिक्षक है, इसमें कोई संदेह नहीं।


निरपेक्षो निर्विकारो निर्भरः शीतलाशयः।

अगाधबुद्धिरक्षुब्धो भव चिन्मात्रवासनः।।

Hindi Meaning: आप सुख साधन रहित, परिवतर्नहीन, निराकार, अचल, अथाह जागरूकता और अडिग हैं। इसलिए अपनी जाग्रति को पकड़े रहो।

Sanskrit sloka on vidya


विद्या मित्रं प्रवासेषु,भार्या मित्रं गृहेषु च।

व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च।।

Hindi Meaning: विदेश में ज्ञान, घर में अच्छे स्वभाव और गुणस्वरूप पत्नी, औषध रोगी का तथा धर्म मृतक का सबसे बड़ा मित्र होता है।


अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।

चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं।।

Hindi Meaning: बड़ों का अभिवादन करने वाले मनुष्य की और नित्य वृद्धों की सेवा करने वाले मनुष्य की आयु, विद्या, यश और बल ये हमेशा बढ़ती रहती है।


यावद्बध्दो मरुद देहे यावच्चित्तं निराकुलम्।

यावद्द्रॄष्टिभ्रुवोर्मध्ये तावत्कालभयं कुत:।।

Hindi Meaning: जब तक शरीर में सांस रोक दी जाती है तब तक मन अबाधित रहता है और जब तक ध्यान दोनों भौहों के बीच लगा है तब तक मृत्यु से कोई भय नहीं है।


सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्।

वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः।

Hindi Meaning: हमें अचानक आवेश या जोश में आकर कोई काम नहीं करना चाहिए। क्योंकि विवेक हीनता सबसे बड़ी विपतियों का कारण होती है। इसके विपरीत जो व्यक्ति सोच समझकर कार्य करता है। गुणों से आकृष्ट होने वाली मां लक्ष्मी स्वयं ही उसका चुनाव कर लेती है।


दुर्जन:परिहर्तव्यो विद्यालंकृतो सन।

मणिना भूषितो सर्प:किमसौ न भयंकर:।।

Hindi Meaning: दुष्ट व्यक्ति यदि विद्या से सुशोभित भी तो अर्थात् वह विद्यावान भी हो तो भी उसका परित्याग कर देगा। चाहिए जैसे मणि से सुशोभित सर्प क्या भयंकर नहीं होता?



नीरक्षीरविवेके हंस आलस्यं त्वं एव तनुषे चेत।

विश्वस्मिन अधुना अन्य:कुलव्रतम पालयिष्यति क:।।

Hindi Meaning: ऐ हंस, यदि तुम दूध और पानी में फर्क करना छोड़ दोगे तो तुम्हारे कुलव्रत का पालन इस विश्व मे कौन करेगा। यदि बुद्धिमान व्यक्ति ही इस संसार मे अपना कर्त्तव्य त्याग देंगे तो निष्पक्ष व्यवहार कौन करेगा।


दुर्जन:स्वस्वभावेन परकार्ये विनश्यति।

नोदर तृप्तिमायाती मूषक:वस्त्रभक्षक:।।

Hindi Meaning: दुष्ट व्यक्ति का स्वभाव ही दूसरे के कार्य बिगाड़ने का होता है। वस्त्रों को काटने वाला चूहाकभी भी पेट भरने के लिए कपड़े नहीं काटता।


Sanskrit Shlok with meaning 

न कश्चित कस्यचित मित्रं न कश्चित कस्यचित रिपु:।

व्यवहारेण जायन्ते, मित्राणि रिप्वस्तथा।।

Hindi Meaning: न कोई किसी का मित्र होता है। न कोई किसी का शत्रु। व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं।


भूमे:गरीयसी माता,स्वर्गात उच्चतर:पिता।

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गात अपि गरीयसी।।

Hindi Meaning: भूमि से श्रेष्ठ माता है, स्वर्ग से ऊंचे पिता हैं। माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं।


काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमतां।

व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।।

Hindi Meaning: बुद्धिमान लोग काव्य-शास्त्र का अध्ययन करने में अपना समय व्यतीत करते हैं। जबकि मूर्ख लोग निद्रा, कलह और बुरी आदतों में अपना समय बिताते हैं।


पृथ्वियां त्रीणि रत्नानि जलमन्नम सुभाषितं।

मूढ़े: पाधानखंडेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।।

Hindi Meaning: पृथ्वी पर तीन रत्न हैं- जल,अन्न और शुभ वाणी। पर मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को रत्न की संज्ञा देते हैं।


संस्कृत श्लोक अर्थ सहित  (Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning)


आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।

नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।।

Hindi Meaning: व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन आलस्य होता है। व्यक्ति का परिश्रम ही उसका सच्चा मित्र होता है। क्योंकि जब भी मनुष्य परिश्रम करता है तो वह दुखी नहीं होता है और हमेशा खुश ही रहता है।

संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।

न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।।

Hindi Meaning: व्यक्ति के मेहनत करने से ही उसके काम पूरे होते हैं। सिर्फ इच्छा करने से उसके काम पूरे नहीं होते। जैसे सोये हुए शेर के मुंह में हिरण स्वयं नहीं आता, उसके लिए शेर को परिश्रम करना पड़ता है।


प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक 

ददाति प्रतिगृह्णाति गुह्यमाख्याति पृच्छति।

भुङ्क्ते भोजयते चैव षड्विधं प्रीतिलक्षणम्।।

Hindi Meaning: लेना, देना, खाना, खिलाना, रहस्य बताना और उन्हें सुनना ये सभी 6 प्रेम के लक्षण है।


अनादरो विलम्बश्च वै मुख्यम निष्ठुर वचनम।

पश्चतपश्च पञ्चापि दानस्य दूषणानि च।।

Hindi Meaning: अपमान करके देना, मुंह फेर कर देना, देरी से देना, कठोर वचन बोलकर देना और देने के बाद पछ्चाताप होना। ये सभी 5 क्रियाएं दान को दूषित कर देती है।


वाणी रसवती यस्य,यस्य श्रमवती क्रिया।

लक्ष्मी : दानवती यस्य,सफलं तस्य जीवितं।।

Hindi Meaning: जिस मनुष्य की वाणी मीठी हो, जिसका काम परिश्रम से भरा हो, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त हो, उसका जीवन सफ़ल है।


यस्तु संचरते देशान् यस्तु सेवेत पण्डितान्।

तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि।।

Hindi Meaning: जो व्यक्ति भिन्न-भिन्न देशों में यात्रा करता है और विद्वानों से सम्बन्ध रखता है। उस व्यक्ति की बुध्दि उसी तरह होती है जैसे तेल की एक बूंद पूरे पानी में फैलती है।


SANSKRIT SHLOKAS WITH HINDI MEANING (प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक अर्थ सहित )

श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन, दानेन पाणिर्न तु कंकणेन।

विभाति कायः करुणापराणां, परोपकारैर्न तु चन्दनेन।।

Hindi Meaning: कानों में कुंडल पहन लेने से शोभा नहीं बढ़ती, अपितु ज्ञान की बातें सुनने से होती है। हाथों की सुन्दरता कंगन पहनने से नहीं होती बल्कि दान देने से होती है। सज्जनों का शरीर भी चन्दन से नहीं बल्कि परहित में किये गये कार्यों से शोभायमान होता है।


प्रदोषे दीपक : चन्द्र:,प्रभाते दीपक:रवि:।

त्रैलोक्ये दीपक:धर्म:,सुपुत्र: कुलदीपक:।।

Hindi Meaning: संध्या काल में चन्द्रमा दीपक है, प्रभात काल में सूर्य दीपक है, तीनों लोकों में धर्म दीपक है और सुपुत्र कूल का दीपक है।


अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद् गजभूषणं।

चातुर्यम् भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणं।।

Hindi Meaning: घोड़े की शोभा उसके वेग से होती है और हाथी की शोभा उसकी मदमस्त चाल से होती है।नारियों की शोभा उनकी विभिन्न कार्यों में दक्षता के कारण और पुरुषों की उनकी उद्योगशीलता के कारण होती है।


यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्।

एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति।।

जैसे एक पहिये से रथ नहीं चल सकता। ठीक उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है।


प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।

तस्मात तदैव वक्तव्यम वचने का दरिद्रता।।

Hindi Meaning: प्रिय वाक्य बोलने से सभी जीव संतुष्ट हो जाते हैं, अतः प्रिय वचन ही बोलने चाहिए। ऐसे वचन बोलने में कंजूसी कैसी।



कृते प्रतिकृतं कुर्यात्ताडिते प्रतिताडितम्।

करणेन च तेनैव चुम्बिते प्रतिचुम्बितम्।।

Hindi Meaning: हर कार्रवाही के लिए एक जवाबी कार्रवाही होनी चाहिए। हर प्रहार के लिए एक प्रति-प्रहार और उसी तर्क से हर चुम्बन के लिए एक जवाबी चुम्बन।


परो अपि हितवान् बन्धुः अपि अहितः परः।

अहितः देहजः व्याधिः हितम् आरण्यं औषधम्।।

Hindi Meaning: यदि कोई अपरिचित व्यक्ति आपकी मदद करें तो उसको अपने परिवार के सदस्य की तरह ही महत्व दें और अपने परिवार का सदस्य ही आपको नुकसान देना शुरू हो जाये तो उसे महत्व देना बंद कर दें। ठीक उसी तरह जैसे शरीर के किसी अंग में कोई बीमार हो जाये तो वह हमें तकलीफ पहुंचती है। जबकि जंगल में उगी हुई औषधी हमारे लिए लाभकारी होती है।


संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning)

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।

नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।।

Hindi Meaning: व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन आलस्य होता है। व्यक्ति का परिश्रम ही उसका सच्चा मित्र होता है। क्योंकि जब भी मनुष्य परिश्रम करता है तो वह दुखी नहीं होता है और हमेशा खुश ही रहता है।


उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।

न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।।

Hindi Meaning: व्यक्ति के मेहनत करने से ही उसके काम पूरे होते हैं। सिर्फ इच्छा करने से उसके काम पूरे नहीं होते। जैसे सोये हुए शेर के मुंह में हिरण स्वयं नहीं आता, उसके लिए शेर को परिश्रम करना पड़ता है।



ददाति प्रतिगृह्णाति गुह्यमाख्याति पृच्छति।

भुङ्क्ते भोजयते चैव षड्विधं प्रीतिलक्षणम्।।

Hindi Meaning: लेना, देना, खाना, खिलाना, रहस्य बताना और उन्हें सुनना ये सभी 6 प्रेम के लक्षण है।


अनादरो विलम्बश्च वै मुख्यम निष्ठुर वचनम।

पश्चतपश्च पञ्चापि दानस्य दूषणानि च।।

Hindi Meaning: अपमान करके देना, मुंह फेर कर देना, देरी से देना, कठोर वचन बोलकर देना और देने के बाद पछ्चाताप होना। ये सभी 5 क्रियाएं दान को दूषित कर देती है।


वाणी रसवती यस्य,यस्य श्रमवती क्रिया।

लक्ष्मी : दानवती यस्य,सफलं तस्य जीवितं।।

Hindi Meaning: जिस मनुष्य की वाणी मीठी हो, जिसका काम परिश्रम से भरा हो, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त हो, उसका जीवन सफ़ल है।


यस्तु संचरते देशान् यस्तु सेवेत पण्डितान्।

तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि।।

Hindi Meaning: जो व्यक्ति भिन्न-भिन्न देशों में यात्रा करता है और विद्वानों से सम्बन्ध रखता है। उस व्यक्ति की बुध्दि उसी तरह होती है जैसे तेल की एक बूंद पूरे पानी में फैलती है।



श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन, दानेन पाणिर्न तु कंकणेन।

विभाति कायः करुणापराणां, परोपकारैर्न तु चन्दनेन।।

Hindi Meaning: कानों में कुंडल पहन लेने से शोभा नहीं बढ़ती, अपितु ज्ञान की बातें सुनने से होती है। हाथों की सुन्दरता कंगन पहनने से नहीं होती बल्कि दान देने से होती है। सज्जनों का शरीर भी चन्दन से नहीं बल्कि परहित में किये गये कार्यों से शोभायमान होता है।


प्रदोषे दीपक : चन्द्र:,प्रभाते दीपक:रवि:।

त्रैलोक्ये दीपक:धर्म:,सुपुत्र: कुलदीपक:।।

Hindi Meaning: संध्या काल में चन्द्रमा दीपक है, प्रभात काल में सूर्य दीपक है, तीनों लोकों में धर्म दीपक है और सुपुत्र कूल का दीपक है।


अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद् गजभूषणं।

चातुर्यम् भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणं।।

Hindi Meaning: घोड़े की शोभा उसके वेग से होती है और हाथी की शोभा उसकी मदमस्त चाल से होती है।नारियों की शोभा उनकी विभिन्न कार्यों में दक्षता के कारण और पुरुषों की उनकी उद्योगशीलता के कारण होती है।


यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्।

एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति।।

Hindi Meaning: जैसे एक पहिये से रथ नहीं चल सकता। ठीक उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है।


प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।

तस्मात तदैव वक्तव्यम वचने का दरिद्रता।।

 Hindi Meaning: प्रिय वाक्य बोलने से सभी जीव संतुष्ट हो जाते हैं, अतः प्रिय वचन ही बोलने चाहिए। ऐसे वचन बोलने में कंजूसी कैसी।


प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक अर्थ सहित 

कृते प्रतिकृतं कुर्यात्ताडिते प्रतिताडितम्।

करणेन च तेनैव चुम्बिते प्रतिचुम्बितम्।।

Hindi Meaning: हर कार्रवाही के लिए एक जवाबी कार्रवाही होनी चाहिए। हर प्रहार के लिए एक प्रति-प्रहार और उसी तर्क से हर चुम्बन के लिए एक जवाबी चुम्बन।


परो अपि हितवान् बन्धुः अपि अहितः परः।

अहितः देहजः व्याधिः हितम् आरण्यं औषधम्।।

Hindi Meaning: यदि कोई अपरिचित व्यक्ति आपकी मदद करें तो उसको अपने परिवार के सदस्य की तरह ही महत्व दें और अपने परिवार का सदस्य ही आपको नुकसान देना शुरू हो जाये तो उसे महत्व देना बंद कर दें। ठीक उसी तरह जैसे शरीर के किसी अंग में कोई बीमार हो जाये तो वह हमें तकलीफ पहुंचती है। जबकि जंगल में उगी हुई औषधी हमारे लिए लाभकारी होती है।

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