Chanakya Niti Chapter 3 Translation in Hindi/चाणक्य नीति श्लोक अर्थ सहित


चाणक्य नीति – तृतीय अध्याय का श्लोकों का हिंदी अनुवाद:

चाणक्य नीति - तृतीयोऽध्यायः
 
"जीवन की कठिन सच्चाइयाँ"

कस्य दोषः कुले नास्ति व्याधिना को न पीडितः।
व्यसनं केन न प्राप्तं कस्य सौख्यं निरन्तरम्॥1

हिंदी अनुवाद: किस कुल में कोई दोष नहीं होता? कौन व्यक्ति रोग से पीड़ित नहीं होता? किसे कोई संकट नहीं आया? और किसे निरंतर सुख प्राप्त हुआ है?

 
"व्यक्ति की पहचान कैसे करें"

आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम्।
सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम्॥2

हिंदी अनुवाद: आचरण व्यक्ति के कुल को बताता है, भाषा उसके देश को प्रकट करती है। व्यवहार उसका प्रेम प्रकट करता है और शरीर से उसके भोजन का पता चलता है।


 
"उचित स्थान पर उचित उपयोग"

सुकुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजयेत्।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मेण योजयेत्॥3

हिंदी अनुवाद: कन्या का विवाह अच्छे कुल में करना चाहिए, पुत्र को शिक्षा में लगाना चाहिए, शत्रु को संकट में फँसाना चाहिए और मित्र को धर्म में लगाना चाहिए।

 
 "दुर्जन से सावधान"

दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे॥4

हिंदी अनुवाद: सर्प की तुलना में दुर्जन अधिक खतरनाक है, क्योंकि सर्प केवल समय आने पर डसता है, लेकिन दुर्जन हर कदम पर नुकसान पहुँचाता है।

 
"कुलीनता की पहचान"

एतदर्थे कुलीनानां नृपाः कुर्वन्ति सङ्ग्रहम्।
आदिमध्यावसानेषु न ते गच्छन्ति विक्रियाम्॥5

हिंदी अनुवाद: इसी कारण से राजा कुलीनों को एकत्र करते हैं, क्योंकि वे आरंभ, मध्य और अंत – किसी भी समय पर विचलित नहीं होते।

 
"सज्जन कभी मर्यादा नहीं तोड़ते"

प्रलये भिन्नमर्यादा भवन्ति किल सागराः।
सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलयेऽपि न साधवः॥6

हिंदी अनुवाद: प्रलय के समय समुद्र अपनी मर्यादा तोड़ देते हैं, परन्तु सज्जन लोग प्रलय के समय भी अपनी मर्यादा नहीं छोड़ते।

 
"मूर्ख को कैसे दंड दें"

मूर्खस्तु प्रहर्तव्यः प्रत्यक्षो द्विपदः पशुः।
भिद्यते वाक्य-शल्येन अदृशं कण्टकं यथा॥7

हिंदी अनुवाद:  मूर्ख को मारना चाहिए क्योंकि वह दो पैरों वाला पशु होता है। वह तीखे वचनों के बाणों से भी उसी प्रकार घायल होता है, जैसे अदृश्य काँटा चुभने से।

 
"गुणहीन सौंदर्य व्यर्थ है"

रूपयौवनसम्पन्ना विशालकुलसम्भवाः।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धाः किंशुका यथा॥8

हिंदी अनुवाद: सुंदर, युवा और अच्छे कुल में जन्मी स्त्रियाँ भी यदि विद्या से रहित हों, तो वे बिना गंध के फूल की तरह होती हैं।



"प्रत्येक के लिए अलग गुण"

कोकिलानां स्वरो रूपं स्त्रीणां रूपं पतिव्रतम्।
विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम्॥9

हिंदी अनुवाद: कोयल की शोभा उसके स्वर में है, स्त्री की शोभा उसके पतिव्रत धर्म में, कुरूप व्यक्ति की शोभा उसकी विद्या में और तपस्वी की शोभा उसकी क्षमा में है।

 
"त्याग का महत्व"

त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत्।
ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत्॥10

हिंदी अनुवाद: कुल की भलाई के लिए एक व्यक्ति का त्याग करें, गाँव की भलाई के लिए एक कुल का त्याग करें, जनपद के लिए गाँव का और आत्मकल्याण के लिए पूरी पृथ्वी का भी त्याग करें।

 
"चार अमूल्य बातें"

उद्योगे नास्ति दारिद्र्यं जपतो नास्ति पातकम्।
मौनेन कलहो नास्ति नास्ति जागरिते भयम्॥11॥ 

हिंदी अनुवाद: परिश्रम करने वाले को कभी दरिद्रता नहीं होती, जप करने वाले को पाप नहीं लगता, मौन रहने वाले से विवाद नहीं होता और जागरूक व्यक्ति को भय नहीं होता।

 
"अति सर्वत्र वर्जयेत्"

अतिरूपेण वा सीता अतिगर्वेण रावणः।
अतिदानाद्बलिर्बद्धो ह्यतिसर्वत्र वर्जयेत्॥12

हिंदी अनुवाद: अत्यधिक सौंदर्य ने सीता का हरण करवाया, अत्यधिक गर्व ने रावण को मारा और अत्यधिक दान से बलि बंधन में पड़ा। इसलिए हर प्रकार की अति त्याज्य है।

 
"समर्थों के लिए कोई बाधा नहीं"

को हि भारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्।
को विदेशः सुविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम्॥13

हिंदी अनुवाद: समर्थ व्यक्ति के लिए कोई भार भारी नहीं, प्रयत्नशील के लिए कोई दूरी दूर नहीं, विद्वान के लिए कोई देश विदेशी नहीं और मधुर बोलने वाले के लिए कोई पराया नहीं होता।

 
"एक सुपुत्र पूरे कुल को महका देता है"

एकेनापि सुवृक्षेण पुष्पितेन सुगन्धिना।
वासितं तद्वनं सर्वं सुपुत्रेण कुलं यथा॥14

हिंदी अनुवाद: एक ही सुगंधित और पुष्पित वृक्ष से जैसे पूरा वन महक जाता है, वैसे ही एक सुपुत्र से पूरा कुल महक उठता है।


"एक कुपुत्र कुल का नाश कर देता है"

एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वह्निना।
दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा॥15

हिंदी अनुवाद: जैसे एक सूखा वृक्ष जलने पर पूरा वन जला सकता है, वैसे ही एक कुपुत्र पूरे कुल को नष्ट कर सकता है।

 
"सुपुत्र से कुल आनंदित होता है"

एकेनापि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना।
आह्लादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी॥16

हिंदी अनुवाद: एक ही विद्वान और श्रेष्ठ पुत्र से पूरे कुल को उसी प्रकार प्रसन्नता मिलती है, जैसे चंद्रमा से रात को उजाला होता है।

 
"श्रेष्ठ एक ही पुत्र पर्याप्त है"

किं जातैर्बहुभिः पुत्रैः शोकसन्तापकारकैः।
वरमेकः कुलालम्बी यत्र विश्राम्यते कुलम्॥17

हिंदी अनुवाद: ऐसे बहुत से पुत्र किस काम के जो दुःख ही दें? एक ऐसा पुत्र श्रेष्ठ है, जो पूरे कुल का सहारा बन सके।

 
"पुत्र का पालन कैसे करें"

लालयेत्पञ्चवर्षाणि दशवर्षाणि ताडयेत्।
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रे मित्रवदाचरेत्॥18

हिंदी अनुवाद: पुत्र को पाँच वर्ष तक प्रेम करें, अगले दस वर्ष अनुशासन दें, और सोलह वर्ष की आयु के बाद उससे मित्र जैसा व्यवहार करें।

 
"संकट में विवेकपूर्ण पलायन"

उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे।
असाधुजनसम्पर्के यः पलायेत्स जीवति॥19

हिंदी अनुवाद: संकट, युद्ध, अकाल और दुष्ट संगति में जो व्यक्ति भाग जाता है, वही जीवित रहता है।

 
"उद्देश्यहीन जीवन व्यर्थ है"

धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोऽपि न विद्यते।
अजागलस्तनस्येव तस्य जन्म निरर्थकम्॥20

हिंदी अनुवाद: जिस व्यक्ति में न धर्म है, न अर्थ, न काम और न मोक्ष — उसका जन्म उसी तरह व्यर्थ है, जैसे बकरी के उस थन का कोई उपयोग नहीं जिससे दूध न निकले।

 
"सच्चे सुख का स्थान"

मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्।
दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागता॥21

हिंदी अनुवाद: जहाँ मूर्खों का सम्मान नहीं होता, अन्न का अच्छा संग्रह होता है और पति-पत्नी में कलह नहीं होता — वहाँ लक्ष्मी स्वयं निवास करती हैं।

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