Sanskrit quotes on knowledge in Hindi with meaning/Sanskrit Quotes on Knowledge in Hindi
Here are mention some Sanskrit quotes on knowledge in Hindi with meaning/Sanskrit Quotes on Knowledge in Hindi
ज्ञानं तु द्विविधं प्रोक्तं शाब्दिकं प्रथमं स्मृतम् ।
अनुभवाख्यं द्वितीयं तुं ज्ञानं तदुर्लभं नृप ॥
Hindi Translation: हे राजा ! ज्ञान दो प्रकार के होते हैं; एक तो स्मृतिजन्य शाब्दिक ज्ञान, और दूसरा अनुभवजन्य ज्ञान जो अत्यंत दुर्लभ है ।
बालः पश्यति लिङ्गं मध्यम बुद्धि र्विचारयति वृत्तम् ।
आगम तत्त्वं तु बुधः परीक्षते सर्वयत्नेन ॥
Hindi Translation: जो बाह्य चिह्नों को देखता है, वह बालबुद्धि का है; जो वृत्ति का विचार करता है, वह मध्यम बुद्धि का है; और जो सर्वयत्न से आगम तत्त्व की परीक्षा करता है, वह बुध/ज्ञानी है ।
न स्वर्गो वाऽपवर्गो वा नैवात्मा पारलौकिकः ।
नैव वर्णाश्रमादीनां क्रिया च फलदायिका ॥
Hindi Translation: स्वर्ग, मोक्ष, आत्मा, परलोक – ये कुछ भी नहीं है । वर्णाश्रम, या कर्मफल इत्यादि भी सत्य नहीं । (नास्तिक मत)
पञ्चभूतात्मकं वस्तु प्रत्यक्षं च प्रमाणकम् ।
नास्तिकानां मते नान्यदात्माऽमुत्र शुभाशुभम् ॥
प्रत्यक्ष प्रमाण हि प्रमाण है; पञ्चभूतात्मक देह और सृष्टि हि आत्मा है, अन्य नहीं । नास्तिकों के मतानुसार शुभ-अशुभ भुगतना पडता है, ऐसा भी नहीं ।
लोकायता वदन्त्येवं नास्ति देवो न निवृत्तिः ।
धर्माधर्मौ न विद्यते न फलं पुण्यपापयोः ॥
Hindi Translation: लोकायत (नास्तिक वर्ग) लोग ऐसा कहते हैं कि देव या मुक्ति जैसा कुछ नहीं है; धर्म-अधर्म नहीं है; पाप-पुण्य का फल होता है, ऐसा भी मानने की आवश्यकता नहीं ।
तेनाधीतं श्रुतं तेन सर्वमनुष्ठितम् ।
येनाशाः पृष्ठतः कृत्वा नैराश्यमवलंबितम् ॥
Hindi Translation: जिसने आशा को पीछे छोड दिया है और निष्कामता का अवलंबन किया है, वही सब पढा है, उसीने सब सुना है और उसीने सब का अनुष्ठान किया है (ऐसा समजो) ।
मातृवत्परदारेषु परद्रव्येषु लोष्ठवत् ।
आत्मवत्सर्वभूतेषु यः पश्यति स पश्यति ॥
Hindi Translation: जो दूसरे की पत्नी को मातृवत् देखता है, दूसरे के द्रव्य को मिट्टी के पिंड भाँति देखता है, और भूत मात्र को आत्मवत् (अपने समान) देखता है, वही सच्चा देखता है ।
शमो दमस्तपः शौचं क्षान्तिरार्जवमेव च ।
ज्ञानं विज्ञानमास्तिक्यं ब्रह्मकर्म स्वभावजम् ॥
Hindi Translation: अन्तःकरण का निग्रह, इंद्रियों का दमन, तप, बाह्य-भीतर की शुद्धि, क्षमाभाव, ऋजुभाव, ज्ञान-विज्ञान में आस्था रखना और उन्हें प्रस्थापित करना – ये ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म है ।
अधर्मं धर्ममिति या मन्यते तमसावृता ।
सर्वार्थान्विपरीतांश्च बुद्धिः सा पार्थ तामसी ॥
Hindi Translation: हे पार्थ ! तमोगुण से व्याप्त बुद्धि अधर्म को भी यह धर्म है, ऐसा समज बैठती है; और वैसे हि दूसरी हर बात को भी विपरीत समजती है, वह बुद्धि तामसी है ।
यथा धर्ममधर्मं च कार्यं चाकार्यमेव च ।
अयथावत्प्रजानाति बुद्धिः सा पार्थ राजसी ॥
Hindi Translation: हे पार्थ ! इन्सान जिस बुद्धि से धर्म-अधर्म को, कर्तव्य-अकर्तव्य को यथार्थरुप से नहीं जान सकती, वह बुद्धि राजसी है ।
प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च कार्याकार्ये भयाभये ।
बन्धं मोक्षं च या वेत्ति बुद्धिः सा पार्थ सात्त्विकी ॥
Hindi Translation: हे पार्थ ! जो बुद्धि प्रवृत्तिमार्ग और निवृत्तिमार्ग को, कर्तव्य-अकर्तव्य को, भय-अभय को, तथा बंधन-मोक्ष को यथार्थरुप से जानती है, वह बुद्धि सात्त्विकी है ।
आत्मानं रथिनं विद्धि शरीरं रथमेव तु ।
बुद्धिं तु सारथिं विद्धि मनः प्रग्रहमेव च ।
इन्द्रियाणी हृयानाहुर्विषयास्तेषु गोचरान् ।
Hindi Translation: आत्मा को रथ का स्वामी समज; शरीर को रथ समज; बुद्धि को सारथि समज; मन लगाम है, इन्द्रियाँ घोडे हैं, और विषय घोडे को चरने के मार्ग है ।
असतो मा सत् गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्माऽमृतं गमय ।
Hindi Translation: मानवी जीवन का प्रवास असत् से सत् की ओर, अँधकार से प्रकाश की ओर, और मृत्यु से अमरत्व की ओर हो
ॐमे बंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः ।
कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः ॥
Hindi Translation: समग्र विश्व ॐ में समा जाता है । इच्छा, सिद्धि और मोक्षप्राप्ति सभी जिसमें समाविष्ट है, योगी जिसका ध्यान करते हैं, उस ॐकार को नमस्कार ।
ओंकारः सर्वमंत्रणामुत्तमः परिकीर्तितः ।
ओंकारेण प्लवैनैव संसाराब्धिंतरिष्यसि ॥
Hindi Translation: सभी मंत्रो में ओंकार हि उत्तम मंत्र है । ओंकाररुप नौका से हि संसार सागर पार होगा ।
इहलोके सुखं हित्वा ये तपस्यन्ति दुर्धियः ।
हित्वा हस्तगतं ग्रासं ते लिहन्ति पदाङ्गुलिम् ॥
Hindi Translation: इहलोक के (पृथ्वी के) सुखों का त्याग करके जो मूढ लोग तप करते हैं, वे हाथ में आया हुआ निवाला छोडकर, मानो पैर की उँगलीयाँ चाटते हैं ! (नास्तिक मत)
यावज्जीवेत् सुखं जीवेदृणं कृत्वा धृतं पिबेत् ।
भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः ॥
Hindi Translation: जितना जिओ, शौख से जिओ; ऋण (लोन) लेकर भी घी पीओ (भोग भुगतो) । भस्मीमभूत होने के बाद, यह देह वापस कहाँ आनेवाला है ? (नास्तिक मत)
आर्ता देवान् नमस्यन्ति तपः कुर्वन्ति रोगिणः ।
अधना दातुमिच्छन्ति वृद्धा नार्यः पतिव्रताः ॥
Hindi Translation: दुःखी लोग भगवान को नमस्कार करते हैं (करना पडता है); रोगी तप करते हैं (करना पडता है); धनहीन लोग देने की ईच्छा रखते हैं (क्यों कि ईच्छा रखने में क्या जाता है ?); और वृद्ध स्त्री पतिव्रता होती है (क्यों कि उन्हें परपुरुष आश्रय नहीं देता) !
यदा किंचिज्ज्ञोऽहं द्विप इव मदान्धः समभवं
तदा सर्वज्ञोऽस्मित्य-भवदवलिप्तं मम मनः ।
यदा किंचित् बुधजनसकाशादवगतम्
तदा मूर्खोऽस्मीति ज्वर इव मदो मे व्यपगतः ॥
Hindi Translation: जब मैं बहुत कम जानता था, तब मैं हाथी की तरह मदमस्त हो गया था; मैं सर्वज्ञ हूँ ऐसा मेरे मन को गर्व हो गया था । पर जब शयाने लोगों के पास से थोडा कुछ जानने लगा, तब ‘मैं मूर्ख हूँ’ ऐसा ध्यान में आते ही बुखार जैसा मेरा मद चला गया ।
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ताः
तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः ।
कालो न यातो वयमेव याताः
तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ॥
Hindi Translation: हमने भोग नहीं भुगते, बल्कि भोगने ही हमें भुगता है; हमने तप नहीं किया, बल्कि हम स्वयं ही तप्त हो गये हैं; काल पसार नहीं हुआ, हम ही पसार हुए हैं; तृष्णा जीर्ण नहीं हुई, पर हम ही जीर्ण हुए हैं !
आदित्यस्य गतागतैरहरहःसंक्षीयते जीवितम्
व्यापारैर्बहुकार्यभार-गुरूभिः कालो न विज्ञायते ।
दृष्ट्वाजन्मजराविपत्तिं मरणं त्रासश्च नोत्पद्यते
पीत्वा मोहमयीं प्रमादमदिरा मुन्मत्तभूतं जगत् ॥
Hindi Translation: सूर्य् के अवागमन से दिनबदिन इन्सान की जिंदगी कम होती जाती है । व्यापार/व्यवसाय के काम में व्यस्त समय कब निकल जाता है, उसका ध्यान नहीं रहेता । जन्म, जरा (बुढापा), विपत्ति और (साक्षात्) मृत्यु देखकर भी हमें डर नहीं लगता ! मोहमय प्रमादरुप दारु पीकर सारा जगत उन्मत्त बना है !
अशनं मे वसनं मे जाया मे बन्धुवर्गो मे ।
इति मे कुर्वाणं काल वृको हन्ति पुरुषाजम् ॥
Hindi Translation: अन्न मेरा, वस्त्र मेरा, स्त्री मेरी, सगे-संबंधी मेरे… ऐसे ‘मेरा, मेरा’ (मे, मे..) करनेवाले पुरुषरुपी बकरे को, कालरुपी सूअर मार डालता है ।
विद्वानेव विजानाति विद्वज्जनपरिश्रमम् ।
नहीं बन्ध्या विजानाति गुर्वीं प्रसववेदनाम् ॥
Hindi Translation: विद्वानों को कितना परिश्रम होता है, वह केवल विद्वान ही समज सकता है । प्रसूति की पीडा क्या होती है, वह वंद्या नहीं जानती !
नित्यमाचरतः शौचं कुर्वतः पितृतर्पणम् ।
यस्य नोद्विजते चेतः शास्त्रं तस्य करोति किम् ॥
Hindi Translation: सदैव शौच विधि का आचरण और पितृतर्पण करने के बावजुद, जिसे वैराग्य खडा नहीं होता, शास्त्र उनका क्या करेगा ?
प्रातर्मूत्र पुरीषाभ्यां मध्याह्ने क्षुत्पिपासया ।
तृप्ताः कामेन बध्यन्ते प्राणिनो निशि निद्रया ॥
Hindi Translation: प्राणीयों को सवेरे मल-मूत्र, मध्याह्न में क्षुधा-तृषा और रात को निंद्रा बाधा करते हैं; तृप्त (जिसके पास सब कुछ है) मनुष्य को काम (विषयानुराग) बाधा करता है ।
ग्रन्थार्थस्य परिज्ञानं तात्पर्यार्थ निरुपणम् ।
आद्यन्तमध्य व्याख्यान शक्तिः शास्त्र विदो गुणाः ॥
Hindi Translation: ग्रंथ का संपूर्ण ज्ञान, तात्पर्य निरुपण करने की समज, और ग्रंथ के किसी भी भाग पर विवेचन करने की शक्ति – ये शास्त्रविद् के गुण है ।
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