Avyay in Sanskrit/अव्यय की संस्कृत परिभाषा, भेद तथा उदाहरण
Indeclinable words in Sanskrit, Meaning and definitions of Avyay in Sanskrit
अव्यय (Avyay) संस्कृत परिभाषा-
"सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु सर्वासु च विभक्तिषु।
वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्येति तदव्ययम्॥"
अर्थात् जो शब्द तीनो लिंगों, सभी विभक्तियों एवं सभी वचनों में एक समान रहते हैं, उन्हें अव्यय कहते हैं।
"न व्यति इति अव्ययं"
अर्थात् जो शब्द कभी भी व्यय नहीं होते या घटते-बढ़ते नहीं हैं जो एक समान रहते हैं। जिनके रूप में कभी भी कोई परिवर्तन नहीं होता उन्हें अव्यय कहते हैं।
भेद तथा उदाहरण-
- विभक्ति – बोधक – कुतः, ग्रामतः, कुत्र, अत्र आदि।
- काल – बोधक – यदा, कदा, सर्वदा आदि।
- प्रकार – बोधक – यथा, तथा, कथम्, इत्थम्, द्वेधा आदि।
- विविध – अव्यय – अनेकशः, पञ्चकृत्व आदि।
Meaning and definitions of Avyaya in Sanskrit
What is the meaning of Sanskrit Avyay?
Ans -Words that are never spent or change, which remain the same. Those whose form never changes are called Avyay.
- उदाहरण-
Avyay in Sanskrit/ Indeclinable words in Sanskrit
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अत्र |
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उच्चैः |
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नीचैः |
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ह्यः |
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शीघ्रं |
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नमः |
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विना | ||
बहिः | ||
वृथा | ||
नक्तम् | ||
नाना | ||
मृषा | ||
पुरा |
धिक् | ||
अथ | ||
मा | ||
अद्य | ||
कुतः | ||
सहसा | ||
सर्वत्र |
एकदा | ||
नूनम् | ||
क्व | ||
परसों | दिव्याः परश्वः मुंबईनगरम् गमिष्यति। |
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