संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित/Sanskrit Slokas with meaning in Hindi

Sanskrit Shlokas with Hindi meaning

Here are mention some Sanskrit slokas with meaning in Hindi.

"नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्। 

छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः।।"

Hindi Translation:

मनुष्य को अत्यंत सरल और सीधा भी नहीं होना चाहिए। इसका उदहारण वन में जाकर देखो, सीधे वृक्ष काट दिए जाते हैं और टेढ़े मेढ़े गांठों वाले वृक्ष खड़े रहते हैं।  


Sanskrit Shlokas with Hindi meaning

"त्रिविधं नरकस्येदं द्वारम् नाशनमात्मनः। 

कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयम त्यजेत।।"

Hindi Translation:

काम, क्रोध और लोभ -ये आत्मा का नाश करने वाले नरक के तीन दरवाजे हैं, अतः इन तीनो को त्याग देना चाहिए। 

"श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन, दानेन पाणिर्न तु कंकणेन। 

विभाति कायः करुणापराणाम्, परोपकारैर्न तु चन्दनेन।।"

Hindi Translation:

कानों  की शोभा कुण्डलों से नहीं अपितु ज्ञान  की बातें सुनने से होती है। हाथ दान करने से सुशोभित होते हैं न कि कंकणों से। दयालु/ सज्जन व्यक्तियों का शरीर चन्दन से नहीं बल्कि दूसरों का हित करने से शोभा पाता है। 

"नोद्धतं कुरुते जातु वेषं न पौरुषेणापि विकत्थतेन्यान्। 

न मूर्च्छितः कटुकान्याह किञ्चित् प्रियं सदा तं कुरुते जानो हि।"

Hindi Translation:

जो कभी उद्यंडका-सा वेष नहीं बनाता, दूसरों के सामने अपने पराक्रम की डींग नही हांकता, क्रोध से व्याकुल होने पर भी कटुवचन नहीं बोलता, उस मनुष्य को लोग सदा ही प्यारा बना लेते हैं। 


"अष्टौ गुणाः पुरुषं दीपयन्ति प्रज्ञा च कौल्यं च दमः श्रुतं च। 

पराक्रमश्चाबहुभाषिता च दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च।"

Hindi Translation:

बुद्धि, कुलीनता, इन्द्रियनिग्रह, शात्रज्ञान, पराक्रम, अधिक न बोलना, शक्ति के अनुसार दान और कृतज्ञता- ये आठ गुण पुरुष की ख्याति बढ़ा देते हैं। 

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"भक्ष्योत्तमप्रतिच्छन्नं मत्स्यो वडिशमायसम्। 

लोभाभिपाती ग्रस्ते नानुबंधमवेक्षते।।"

Hindi Translation:

मछली बढ़िया चारे से ढकी हुई लोहे की कांटी को लोभ में पड़कर निगल जाती है, उससे होने वाले परिणाम पर विचार नहीं करती। 

"एको धर्मः परम् श्रेयः क्षमैका शान्तिरुक्तमा। 

विद्वैका परमा तृप्तिरहिंसैका सुखवहा।।"

Hindi Translation:

केवल धर्म ही परम कल्याणकारक है, एकमात्र क्षमा ही शांति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक विद्या ही परम संतोष देने वाली है और एकमात्र अहिंसा ही सुख देने वाली है। 


"ईर्ष्यी घृणी न संतुष्टः क्रोधनो नित्यशङ्कितः। 

परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदुः खिताः।।"

Hindi Translation:

ईर्ष्या करने वाला, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, सदा संकित रहने वाला और दूसरों के भाग्य पर जीवन-निर्वाह करने वाला ये छः सदा दुखी रहते हैं। 


संस्कृत श्लोक हिन्दी अर्थ सहित


"यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्। 

एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति।।"

Hindi Translation:

जैसे एक पहिये से रथ नहीं चल सकता है उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है। 


"अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते। 

अविश्वस्ते विश्वसिति मूढ़चेता नराधमाः।।"

Hindi Translation:

मूढ़ चित्त वाला नीच व्यक्ति बिना बुलाये ही अंदर चला आता है, बिना पूछे ही बोलने लगता है तथा जो विश्वाश करने योग्य नहीं है उनपर भी विश्वाश कर लेता है। 


"न दृश्यत्यात्मसम्माने नावमानेन तप्यते। 

गंगो हृद इवाक्षोभ्यो यः  स पंडित उच्यते।।"

Hindi Translation:

जो अपना आदर-सम्मान होने पर ख़ुशी से फूल नहीं उठता, और अनादर होने पर क्रोधित नहीं होता तथा गंगाजी के कुण्ड के सामान जिसका मन अशांत नहीं होता वह ज्ञानी कहलाता है। 


"षण्णामात्मनि नित्यनामैश्वर्यं योधिगच्छति। 

न स पापैः कुतो नर्थैंर्युज्यते विजेतेन्द्रियः।।"

Hindi Translation:

मन में नित्य रहने वाले छः शत्रु- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद तथा मात्सर्य को जो वश में कर लेता है, वह जितेन्द्रिय पुरुष पापों से ही लिप्त नहीं होता, फिर उनसे उत्पन्न होने वाले अनर्थों की बात ही क्या है। 


"षड दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छिता। 

निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।"

Hindi Translation:

ऐश्वर्य या उन्नति चाहते वाले पुरुषों को नींद, तन्द्रा, डर, क्रोध, आलस्य तथा दीर्घसूत्रता (जल्दी हो जाने वाले कामों में अधिक समय लगाने की आदत)- इन छः दुर्गुणों को त्याग देना चाहिए।  

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