Sanskrit shlokas on Yoga: पतंजलि योग पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
Here are mention Some Sanskrit slokas on Yoga with Hindi Meaning.
Hindi Meaning: मन अर्थात् चित्त की वृत्तियों का सर्वथा रुक जाना योग है ।
Hindi Meaning: अर्थात् धनञ्जय! तुम योग में स्थित होकर शास्त्रोक्त कर्म करते जाओ। केवल कर्म में आसक्ति का त्याग कर दो और कर्म सिद्ध हो या असिद्ध अर्थात् उसका फल मिले या फिर न मिले, इन दोनों ही अवस्थाओं में अपनी चित्तवृत्ति को समान रखो। अर्थात् सिद्ध होने पर हर्ष एवं असिद्ध होने पर विषाद अपने चित्त में मत आने दो। यह सिद्धि एवं असिद्धि में सम-वृत्ति रखना ही योग है ।
Hindi Meaning: तप, अध्यात्मशास्त्रों के पठन-पाठन और ईश्वर शरणागति – ये तीनों क्रिया योग हैं।
Hindi Meaning: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि; ये आठ योग के अंग हैं ।
Hindi Meaning: अहिंसा की दृढ़ स्थिति हो जाने पर उस योगी के निकट सब प्राणी वैरभाव त्याग कर देते हैं ।
Hindi Meaning: सत्य में दृढ़ स्थिति हो जाने पर उस योगी की क्रिया अर्थात् कर्म फल के आश्रय का भाव आ जाता है।
Hindi Meaning: अस्तेय अर्थात् चोरी के अभाव में दृढ़ स्थिति हो जाने पर उस योगी के सामने सब प्रकार के रत्न प्रकट हो जाते हैं ।
Hindi Meaning: शौच से अन्तःकरण की शुद्धि, मन का प्रफुल्ल भाव, चित्त की एकाग्रता, इन्द्रियों पर जीत और आत्मसाक्षात्कार की योग्यता – ये पाँचों भी होते हैं ।
Hindi Meaning: बुद्धि-(समता) से युक्त मनुष्य यहाँ जीवित अवस्थामें ही पुण्य और पाप दोनोंका त्याग कर देता है। अतः तू योग-(समता-) में लग जा, क्योंकि योग ही कर्मोंमें कुशलता है।
Hindi Meaning: कर्मों में कुशलता ही योग है ।
"योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः"
"Yogaśchittavr̥ttinirodhaḥ"
Hindi Meaning: मन अर्थात् चित्त की वृत्तियों का सर्वथा रुक जाना योग है ।
"योगस्थ: कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।"
Yogasthaḥ Kuru Karmāṇi Saṇgaṁ Tyaktvā Dhanañjaya
Siddhyasiddhyoḥ Samo Bhūtvā Samatvaṁ Yoga Uchyate.
Hindi Meaning: अर्थात् धनञ्जय! तुम योग में स्थित होकर शास्त्रोक्त कर्म करते जाओ। केवल कर्म में आसक्ति का त्याग कर दो और कर्म सिद्ध हो या असिद्ध अर्थात् उसका फल मिले या फिर न मिले, इन दोनों ही अवस्थाओं में अपनी चित्तवृत्ति को समान रखो। अर्थात् सिद्ध होने पर हर्ष एवं असिद्ध होने पर विषाद अपने चित्त में मत आने दो। यह सिद्धि एवं असिद्धि में सम-वृत्ति रखना ही योग है ।
"तपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि क्रियायोगः॥२.१॥
तपः, स्वाध्याय, ईश्वर-प्रणिधानानि, क्रिया-योग: ॥"
Tapaḥ Svādhyāyeśvarapraṇidhānāni Kriyāyogaḥ
Tapaḥ, Svādhyāya, Īśvara-praṇidhānāni, Kriyāyogaḥ
Hindi Meaning: तप, अध्यात्मशास्त्रों के पठन-पाठन और ईश्वर शरणागति – ये तीनों क्रिया योग हैं।
"यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि॥२.२९॥"
Yamaniyamāsanaprāṇāyāmapratyāhāradhāraṇādhyānasamādhayo'ṣṭāvañgāni
Hindi Meaning: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि; ये आठ योग के अंग हैं ।
"अहिंसाप्रतिष्ठायां तत्सन्निधौ वैरत्यागः॥"
Ahiṇsāpratiṣṭjāyāṁ Tatsannidhō Vēratyāgaḥ
Hindi Meaning: अहिंसा की दृढ़ स्थिति हो जाने पर उस योगी के निकट सब प्राणी वैरभाव त्याग कर देते हैं ।
"सत्यप्रतिष्ठायां क्रियाफलाश्रयत्वम्॥"
Satyapratiṣṭhāyāṁ Kriyāfalāśrayatvaṁ
Hindi Meaning: सत्य में दृढ़ स्थिति हो जाने पर उस योगी की क्रिया अर्थात् कर्म फल के आश्रय का भाव आ जाता है।
"अस्तेयप्रतिष्ठायां सर्वरत्नोपस्थानम्॥"
Asteyapratiṣṭhāyaṁ Sarvaratnopsthānaṁ
Hindi Meaning: अस्तेय अर्थात् चोरी के अभाव में दृढ़ स्थिति हो जाने पर उस योगी के सामने सब प्रकार के रत्न प्रकट हो जाते हैं ।
"सत्त्वशुद्धिसौमनस्यैकाग्र्येन्द्रियजयात्मदर्शनयोग्यत्वानि च॥"
Sattvaśuddhisōmanasyēkāgryendriyajayātmadarśnayogyatvāni Cha
"बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्।।"
buddhiyukto Jahātīh Ybhe Sukritaduṣkr̥te
Tasmādyogāya Yujyasva Yogaḥ Karmasu Kōśalaṁ
Hindi Meaning: बुद्धि-(समता) से युक्त मनुष्य यहाँ जीवित अवस्थामें ही पुण्य और पाप दोनोंका त्याग कर देता है। अतः तू योग-(समता-) में लग जा, क्योंकि योग ही कर्मोंमें कुशलता है।
"तं विद्याद्दु:खसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्।"
Taṁ Vidyādduḥkhasaṇyogaviyogaṁ Yogasaṇjñitaṁ
Hindi Meaning: कर्मों में कुशलता ही योग है ।
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