Chanakya Niti Chapter 6 Translation in Hindi/चाणक्य नीति श्लोक अर्थ सहित


चाणक्य नीति – षष्ठ अध्याय का श्लोकों का हिंदी अनुवाद:

॥ चाणक्य नीति - षष्ठोऽध्यायः

श्रुत्वा धर्मं विजानाति श्रुत्वा त्यजति दुर्मतिम् ।
श्रुत्वा ज्ञानमवाप्नोति श्रुत्वा मोक्षमवाप्नुयात् ॥01॥

Hindi Translation: धर्म को सुनकर मनुष्य धर्म का ज्ञान प्राप्त करता है, बुरी बुद्धि त्याग देता है, ज्ञान पाता है और अंततः मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।



पक्षिणः काकश्चण्डालः पशूनां चैव कुक्कुरः ।
मुनीनां पापश्चण्डालः सर्वचाण्डालनिन्दकः ॥02

Hindi Translation:  पक्षियों में कौआ, पशुओं में कुत्ता और ऋषियों में वह पापी चांडाल है जो सभी चांडालों की निंदा करता है।


भस्मना शुद्ध्यते कास्यं ताम्रमम्लेन शुद्ध्यति ।
रजसा शुद्ध्यते नारी नदी वेगेन शुद्ध्यति ॥ 03॥
Hindi Translation: कांस्य भस्म से, तांबा अम्ल से, स्त्री आभूषण (सिंगार) से और नदी अपने वेग से शुद्ध होती है।


भ्रमन्सम्पूज्यते राजा भ्रमन्सम्पूज्यते द्विजः ।
भ्रमन्सम्पूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनश्यति ॥04॥

Hindi Translation:  राजा, ब्राह्मण और योगी घूमते हुए सम्मान पाते हैं, परंतु स्त्री का घूमना उसके पतन का कारण बनता है।



यस्यार्थास्तस्य मित्राणि यस्यार्थास्तस्य बान्धवाः ।
यस्यार्थाः स पुमाँल्लोके यस्यार्थाः स च पण्डितः ॥05॥

Hindi Translation: जिसके पास धन है, उसी के मित्र और संबंधी होते हैं; वही व्यक्ति समाज में पुरुष और पंडित माना जाता है।


तादृशी जायते बुद्धिर्व्यवसायोऽपि तादृशः ।
सहायास्तादृशा एव यादृशी भवितव्यता ॥06॥

Hindi Translation:  जैसी किस्मत होती है, वैसी ही बुद्धि, वैसा ही प्रयास और वैसे ही साथी मिलते हैं।



कालः पचति भूतानि कालः संहरते प्रजाः ।
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः ॥07॥

Hindi Translation: समय सबको विकसित करता है, समय ही नष्ट करता है; समय सोते हुए भी जागता रहता है और उससे कोई बच नहीं सकता।



न पश्यति च जन्मान्धः कामान्धो नैव पश्यति ।
मदोन्मत्ता न पश्यन्ति अर्थी दोषं न पश्यति ॥08॥

Hindi Translation: जन्म से अंधा, कामवासना में अंधा, मद में मतवाला और लोभी—ये चारों सत्य या दोष को नहीं देख पाते।


स्वयं कर्म करोत्यात्मा स्वयं तत्फलमश्नुते ।
स्वयं भ्रमति संसारे स्वयं तस्माद्विमुच्यते ॥09॥

Hindi Translation: मनुष्य स्वयं कर्म करता है, उसका फल भोगता है, संसार में भटकता है और स्वयं ही उससे मुक्त होता है।



राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञः पापं पुरोहितः ।
भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा ॥10॥

Hindi Translation:  प्रजा का पाप राजा पर, राजा का पाप पुरोहित पर, स्त्री का पाप पति पर और शिष्य का पाप गुरु पर आता है।


ऋणकर्ता पिता शत्रुर्माता च व्यभिचारिणी ।
भार्या रूपवती शत्रुः पुत्रः शत्रुरपण्डितः ॥11॥

Hindi Translation: ऋण लेने वाला पिता, व्यभिचारिणी माता, रूपवती पत्नी और मूर्ख पुत्र—ये सभी शत्रु के समान हैं।



लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् स्तब्धमञ्जलिकर्मणा ।
मूर्खं छन्दोऽनुवृत्त्या च यथार्थत्वेन पण्डितम् ॥12॥

Hindi Translation: लोभी को धन से, घमंडी को नम्रता से, मूर्ख को उसकी बात मानकर और पंडित को सच्चाई से जीता जा सकता है।


वरं न राज्यं न कुराजराज्यं
वरं न मित्रं न कुमित्रमित्रम् ।
वरं न शिष्यो न कुशिष्यशिष्यो
वरं न दार न कुदरदारः ॥13॥

Hindi Translation: अच्छा है कि राज्य न हो, परंतु कुप्रशासन न हो; मित्र न हो, परंतु बुरा मित्र न हो; शिष्य न हो, परंतु बुरा शिष्य न हो; पत्नी न हो, परंतु बुरी पत्नी न हो।



कुराजराज्येन कुतः प्रजासुखं
कुमित्रमित्रेण कुतोऽभिनिर्वृतिः ।
कुदारदारैश्च कुतो गृहे रतिः
कुशिष्यशिष्यमध्यापयतः कुतो यशः ॥14॥

Hindi Translation: कुप्रशासन में प्रजा को सुख नहीं मिलता, बुरे मित्र से शांति नहीं, बुरी पत्नी से घर में आनंद नहीं और बुरे शिष्य को पढ़ाने से यश नहीं मिलता।



सिंहादेकं बकादेकं शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात् ।
वायसात्पञ्च शिक्षेच्च षट्शुनस्त्रीणि गर्दभात् ॥15॥

Hindi Translation: सिंह से एक, बगुले से एक, मुर्गे से चार, कौए से पाँच, कुत्ते से छह और गधे से तीन बातें सीखनी चाहिए।



प्रभूतं कार्यमल्पं वा यन्नरः कर्तुमिच्छति ।
सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते ॥16॥

Hindi Translation: सिंह से सीखना चाहिए कि काम छोटा हो या बड़ा, उसे पूरे उत्साह और शक्ति से करना चाहिए।


इन्द्रियाणि च संयम्य रागद्वेषविवर्जितः ।
समदुःखसुखः शान्तः तत्त्वज्ञः साधुरुच्यते ॥17॥

Hindi Translation: जो व्यक्ति इंद्रियों को वश में रखे, राग-द्वेष से मुक्त हो, सुख-दुःख में समान रहे और शांतचित्त हो—वह साधु कहलाता है।



प्रत्युत्थानं च युद्धं च संविभागं च बन्धुषु ।
स्वयमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात् ॥18॥

Hindi Translation: मुर्गे से चार बातें सीखनी चाहिए—जल्दी उठना, साहसपूर्वक युद्ध करना, भाइयों में बांटना और स्वयं कमाकर खाना।



गूढमैथुनचारित्वं काले काले च सङ्ग्रहम् ।
अप्रमत्तमविश्वासं पञ्च शिक्षेच्च वायसात् ॥19॥

Hindi Translation: कौए से पाँच बातें सीखनी चाहिए—गुप्त मैथुन करना, समय-समय पर संग्रह करना, सावधान रहना, अंधविश्वास न करना और सतर्क रहना।



बह्वाशी स्वल्पसन्तुष्टः सनिद्रो लघुचेतनः ।
स्वामिभक्तश्च शूरश्च षडेते श्वानतो गुणाः ॥20॥

Hindi Translation: कुत्ते से छह बातें सीखनी चाहिए—अधिक भोजन करना, थोड़े में संतोष करना, नींद लेना, हल्का मन रखना, स्वामी के प्रति भक्ति और वीरता।


सुश्रान्तोऽपि वहेद्भारं शीतोष्णं न च पश्यति ।
सन्तुष्टश्चरते नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात् ॥21॥

Hindi Translation:  गधे से तीन बातें सीखनी चाहिए—थक जाने पर भी भार उठाना, सर्दी-गर्मी की परवाह न करना और सदैव संतोषपूर्वक रहना।


य एतान्विंशतिगुणानाचरिष्यति मानवः ।
कार्यावस्थासु सर्वासु अजेयः स भविष्यति ॥22॥
Hindi Translation:  जो मनुष्य इन बीस गुणों का पालन करेगा, वह हर परिस्थिति में अजेय रहेगा।


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