Quotes from Bhagavad Gita in Hindi
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नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।
भावार्थ : इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता।
नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोSयं सनातनः।(२/२४)
भावार्थ : यह आत्मा नित्य सर्वव्यापी, अचल स्थिर रहने वाला और सनातन है।
क्लैब्यं मा स्म गमः (२/३)
भावार्थः नपुंसकता को मत प्राप्त हो।
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शिष्यस्तेSहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्। (२/७)
भावार्थः मैं आपका शिष्य हूँ इसलिए आपके शरण आये हुए मुझके शिक्षा दीजिए।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः। (२/११)
भावार्थ : जिनके प्राण चले गये हैं, उनके लिए और जिनके प्राण नहीं गये हैं उनके लिए पण्डित जन शोक नहीं करते।
आगमापायिनोSनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत। (२/१४)
भावार्थ : उत्पत्ति और विनाश दोनों अनित्य हैं इसलिए हे भारत! उनको सहन कर।
समुदुःखसुखं धीरं सोSमृतत्वाय कल्पते (२/१५)
भावार्थ : सुख दुःख को समान समझने वाला धीर मोक्ष के योग्य होता है।
नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः। (२/१६)
भावार्थ : असत वस्तु की सत्ता नहीं है और सत का अभाव नहीं है।
अन्तवन्त इमे देहा। (२/१८)
भावार्थ : ये सब शरीर नाशवान है।
नायं हन्ति न हन्यते। (२/१९)
भावार्थ : यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी के द्वारा मारा जाता है।
न हन्यते हन्यमाने शरीरे (२/२०)
भावार्थ : शरीर के मने जाने पर भी (यह आत्मा) नहीं मारा जाता।
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि हृह्णाति नरोSपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।(२/२२)
भावार्थ : जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसने नए वस्त्रों को ग्रहण करता है।
वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नये शरीरों को प्राप्त होता है।
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