संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित/Sanskrit Slokas with Meaning in Hindi

17 Sanskrit Slokas with Meaning in Hindi

Here are mention Sanskrit slokas with meaning in Hindi:

Sanskrit Slokas : 1
"यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्। 
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः।।"
Meaning in Hindi:

मनुष्य अन्तकाल में जिसका स्मरण करते हुए शरीर छोड़ता हैवह उस अन्तकाल के भाव से सदा भावित होता हुआ उसी योनि में चला जाता है। 

 
Sanskrit Slokas : 2
"कट्वम्ललावनतीष्णतीक्ष्णरक्षविदाहिनः। 
आहारा राज्यसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः।।"
Meaning in Hindi:

अति कड़वे, अति खट्टे, अति नमकीन, अति गरम, अति तीखे, अति रूखे और अति दाहकारक आहार अर्थात भोजन के पदार्थ राजस मनुष्य को प्रिय होते हैं, जो कि दुःख, शोक और रोगों को देने वाले हैं। 


Sanskrit Slokas : 3
"द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च। 
क्षरः सर्वाणि भूतानि कूटस्थोSक्षर उच्यते।।"
Meaning in Hindi:

इस संसार में नाशवान और अविनाशी -ये दो प्रकार के पुरुष हैं। सम्पूर्ण प्राणियों के शरीर नाशवान और जीवात्मा अविनाशी कहा जाता है। 

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Sanskrit Slokas : 4
"न जायते म्रियते वा कदापि न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः। 
अजो नित्यः शाश्वतोSयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।"
Meaning in Hindi:

यह आत्मा न कभी जन्मता है और न मरता है तथा यह उत्पन्न होकर नष्ट होने वाला नहीं है। यह जन्मरहित, नित्य-निरन्तर रहनेवाला, शाश्वत और अनादि है।  शरीर के मारे  जाने पर भी यह नहीं मारा जाता। 


Sanskrit Slokas : 5
"यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेSर्जुन। 
कर्मेन्द्रियैः कर्मयोगमसत्त्कः स विशिष्यते।।"
Meaning in Hindi:

जो मनुष्य मन से इन्द्रियों पर नियंत्रण करके निष्काम भाव से समस्त इन्द्रियों के द्वारा कर्मयोग का आचरण करता हैं, वही श्रेष्ठ है। 


Sanskrit Slokas : 6
"प्रशान्तमनसं ह्येनं योगिनं सुखमुत्तमम्। 
उपैति शान्तरजसं ब्रह्मभूतमकल्मषम्।।"
Meaning in Hindi:

जिस मनुष्य के सब पाप नष्ट हो गये हैं, जिसका रजोगुण तथा मन सर्वथा शान्त हो गया है, ऐसे ईश्वर रूपी योगी को निश्चित ही उत्तम सुख प्राप्त होता है। 



Sanskrit Slokas : 7
"युञ्जन्नेवं सदाSSत्मानं योगी नियतमानसः। 
शान्तिं निर्वाणपरमां मत्संस्थामधिगच्छति।।"
Meaning in Hindi:

संयमित मन वाला योगी मन को सदा परमात्मा में लगाता हुआ निर्वाण प्राप्त करता है और परम शान्ति को प्राप्त करता है। 


Sanskrit Slokas : 8

"सुहृन्मित्रार्युदासीनमध्यस्थद्वेष्यबन्धुषु। 
साधुष्वपि च पापेषु समबुद्धिर्विशिष्यते।।"
 Meaning in Hindi:

सुहृद (सबका हित करने वाला), मित्र, शत्रु, पक्षपातरहित, मध्यस्थ, द्वेष करने योग्य लोगों में और सम्बन्धियों में तथा धर्मात्माओं में  और पापियों में भी सामान भाव रखने वाला मनुष्य ही अत्यन्त श्रेष्ठ है। 


Sanskrit Slokas : 9
"बन्धुरात्माSSत्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः। 
अनात्मानस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत।" 
 Meaning in Hindi:

जिस मनुष्य के मन पर विजय प्राप्त कर ली हो मन उसका मित्र है किन्तु जो ऐसा करने में असफल होते हैं, मन उनके शत्रु समान कार्य करता है। 


Sanskrit Slokas : 10
"आवृतं ज्ञानमेतेन् ज्ञानिनो नित्यवैरिणा। 
कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेनलेन च।"
Meaning in Hindi:

ज्ञानी पुरुष का ज्ञान भी अतृप्त कामना रूपी नित्य शत्रु से ढका रहता है जो कभी संतुष्ट नहीं होता और अग्नि के समान जलता रहता है। 


Sanskrit Slokas : 11
"सुहृन्मित्रार्युदासीनमध्यस्थद्वेष्यबन्धुषु। 
साधश्वपि च पापेषु समबुद्धिर्विशिष्यते।।"
Meaning in Hindi:

सुहृद (सबका हित करने वाला ), मित्र, शत्रु, पक्षपातरहित, मध्यस्थ, द्वेष करने योग्य लोगों में और सम्बन्धियों में तथा धर्मात्माओं में और पापियों में भी समान भाव रखने वाला मनुष्य ही अत्यन्त श्रेष्ठ है। 


Sanskrit Slokas : 12
"नात्यन्तं सरलैर्भव्यं गत्वा पश्य वाणस्थलीयम्। 
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः।।"
Meaning in Hindi:

मनुष्य को अत्यंत सरल और सीधा भी नहीं होना चाहिए।  इसका उदाहरण वन में जाकर देखों, सीधे वृक्ष काट दिए जाते हैं और टेढ़े मेढ़े गांठों वाले वृक्ष खड़े रहते हैं। 


Sanskrit Slokas : 13
"गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत्। 
वर्तमानेन् कालेन् वर्तयन्ति विचक्षणाः।।"
Meaning in Hindi:

जो बीत चुका है, उन पर शोक नहीं करना चाहिए और भविष्य की भी चिंता नहीं करनी चाहिए। बुद्धिमान लोग वर्तमान समय के अनुसार कार्य में लगे रहते हैं। 



Sanskrit Slokas : 14
"गुणैरुत्तमतां याति नोच्चैरासनसंस्थितः। 
प्रासादशिखरस्थोSपि काकः किं गरुडायेत्।।"
Meaning in Hindi:

मनुष्य अपने गुणों के कारण ही श्रेष्ठता को प्राप्त होता है, ऊँचे आसन पर बैठने के कारण नहीं। राजभवन की सबसे ऊँची छोटी पर बैठने के बाद कौआ कभी गरुड़ नहीं बन सकता। 


Sanskrit Slokas : 15
"पर-प्रोत्त्कगुणो यस्तु निर्गुणोSपि गुणी भवेत्। 
इन्द्रोSपि लघुतां याति स्वयं प्रख्यापितैर्गुणः।।"
Meaning in Hindi:

जिस मनुष्य के गुणों का बखान दूसरे लोग करते हैं, वह गुणों से रहित होने पर भी गुणी कहलाता है, किन्तु अपने मुख से अपनी बढ़ाई करने पर इन्द्र भी छोटा हो जाता है। 


Sanskrit Slokas : 16
"क्षमा शस्त्रं करे यस्य दुर्जनः किं करिष्यति। 
अतृृणे  पतितो वन्हिः स्वयमेवोपशाम्यति।।"

Meaning in Hindi:

क्षमारूपी शस्त्र जिसके हाथ में हो, उसे दुर्जन क्या कर सकता है ? अग्नि, जब किसी जगह पर गिरता है जहाँ घास न हो , अपने आप बुझ जाता है। 

 Sanskrit Slokas : 17 
"असूयैकपदं  मृत्युः अतिवादः श्रियो वधः। 
अशुश्रूषा त्वरा श्लाघा विद्यायाः शत्रवस्त्रयः।।"

Meaning in Hindi:

विद्यार्थी के सम्बन्ध में द्वेश यह मृत्य के समान है। अनावश्यक बाते करने से धन का नाश होता है। सेवा करने की मनोवृत्ती का आभाव, जल्दीबाजी तथा स्वयं की प्रशंसा स्वयं करना यह तीन बाते विद्या ग्रहण करने के शत्रु है।    

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