Bhagavad Gita Karma Quotes in Hindi/Sanskrit Slokas for Karma with Hindi Meaning

Bhagavad Gita Karma Quotes in Hindi/Sanskrit Slokas for Karma with Hindi Meaning

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कर्म पर गीता के श्लोक:

"ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः ।

लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा ॥"

Hindi Meaning: जो आसक्ति रहित और ब्रह्मार्पण वृत्ति से कर्म करते हैं, वे पानी से अलिप्त रहनेवाले कमल की तरह पाप से अलिप्त रहते हैं ।


"यज्ञदानतपः कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत् ।

यज्ञो दानं तपश्चैव पावनानि मनीषिणाम् ॥"

Hindi Meaning: यज्ञ, दान और तपरुपी कर्म त्याग करने योग्य नहि है, बल्कि ये तो अवश्य करने चाहिए; क्यों कि यज्ञ, दान, और तप – ये तीनों कर्म बुद्धिमान मनुष्य को पावन करनेवाले हैं ।


"नास्तिकः पिशुनश्चैव कृतघ्नो दीर्घदोषकः ।

चत्वारः कर्मचाण्डाला जन्मतश्चापि पञ्चमः ॥"

Hindi Meaning: नास्तिक, निर्दय, कृतघ्नी, दीर्घद्वेषी, और अधर्मजन्य संतति – ये पाँचों कर्मचांडाल हैं ।


"वागुच्चारोत्सवं मात्रं तत्क्रियां कर्तुमक्षमाः ।

कलौ वेदान्तिनो फाल्गुने बालका इव ॥"

Hindi Meaning: लोग वाणी बोलने का आनंद उठाते हैं, पर उस मुताबिक क्रिया करने में समर्थ नहीं होते । कलियुग के वेदांती, फाल्गुन मास के बच्चों जैसे लगते हैं ।


Hindi Meaning: कर्म पर संस्कृत श्लोक Sanskrit Shlokas for Karma with Hindi Meaning

"कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः ।

स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत् ॥"

Hindi Meaning: जो मनुष्य कर्म में अकर्म देखते हैं, और कर्म में अकर्म को देखता हैं, वह इन्सान सभी मनुष्यों में बुद्धिमान है; एवं वह योगी सम्यक् कर्म करनेवाला है ।


"दाने शक्तिः श्रुतौ भक्तिः गुरूपास्तिः गुणे रतिः ।

दमे मतिः दयावृत्तिः षडमी सुकृताङ्कुराः ॥"

Hindi Meaning: दातृत्वशक्ति, वेदों में भक्ति, गुरुसेवा, गुणों की आसक्ति, (भोग में नहि पर) इंद्रियसंयम की मति, और दयावृत्ति – इन छे बातों में सत्कार्य के अंकुर हैं ।


"कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं च विकर्मणः ।

अकर्मणश्च बोद्धव्यं गहना कर्मणो गतिः ॥"

Hindi Meaning: कर्म का स्वरुप जानना चाहिए, अकर्म का और विकर्म का स्वरुप भी जानना चाहिए; क्यों कि कर्म की गति अति गहन है ।

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"सुखस्य दुःखस्य न कोऽपि दाता परो ददातीति कुबुद्धिरेषा ।

अहं करोमीति वृथाभिमानः स्वकर्मसूत्रे ग्रथितो हि लोकः ॥"

Hindi Meaning: सुख-दुःख (जीवन में) किसी अन्य के दिये नहीं होते; कोई दूसरा मुजे सुख-दुःख देता है यह मानना व्यर्थ है । ‘मुजसे होता है’ यह मानना भी मिथ्याभिमान है । समस्त जीवन और सृष्टि स्वकर्म के सूत्र में बंधे हुए हैं ।

"सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत् ।

सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः ॥"

Hindi Meaning: हे कौन्तेय ! दोषयुक्त होते हुए भी सहज कर्म का त्याग नहीं करना चाहिए; क्यों कि जैसे अग्नि धूंएँ से आवृत्त होता है वैसे हि हर कर्म किसी न किसी दोष से युक्त होता है ।


"वैद्याः वदन्ति कफपित्तमरुद्विकारान् ज्योतिर्विदो ग्रहगतिं परिवर्तयन्ति ।

भूताभिषंग इति भूतविदो वदन्ति प्रारब्धकर्म बलवन्मुनयोः वदन्ति ॥"

Hindi Meaning: वैद्य कहते हैं वह कफ, पित्त और वायु का विकार है; ज्योतिषी कहते हैं वह ग्रहों की पीडा है; भूवा (बाबा) कहता है भूत का संचार हुआ है, पर ऋषि-मुनि कहते हैं प्रारब्ध कर्म बलवान है (और उसी का यह फल है) ।


"अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च पौरुषम् ।

मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते ॥"

Hindi Meaning: जो कर्म परिणाम, हानि, हिंसा, और सामर्थ्य को ध्यान में लिये बगैर, केवल अज्ञान की वजह से किया जाता है, वह तामसी कहा गया है ।


"यत्तु कामेप्सुना कर्म साहङ्कारेण वा पुनः ।

क्रियते बहुलायासं तद्राजसमुदाहृतम् ॥"

Hindi Meaning: जो कर्म बहुत परिश्रम उठाकर किया जाता है, और उपर से भोगेच्छा से या अहंकार से किया जाता है, वह कर्म राजसी कहा गया है ।


"अपहाय निजं कर्म कृष्णकृष्णोति वादिनः ।

ते हरेर्द्वेषिनः पापाः धर्मार्थ जन्म यध्धरेः ॥"

Hindi Meaning: जो लोग अपना कर्म छोडकर केवल कृष्ण बोलते रहते हैं, वे हरि के द्वेषी हैं ।


"केचित् कुर्वन्ति कर्माणि कामरहतचेतसः ।

त्यजन्तः प्रकृयिदैवीर्यथाहं लोकसंग्रहम् ॥"

Hindi Meaning: जगत में विरल हि लोग ऐसे होते हैं, जो भगवान की माया से निर्मित विषयसंबंधी वासनाओं का त्याग करके मेरे समान केवल लोकसंग्रह के लिए कर्म करते रहेते हैं ।


"नियतं सङ्गरहितमरागद्वेषतः कृतम् ।

अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते ॥"

Hindi Meaning: जो कर्म शास्त्रविधि से नियत किया हो, कर्तापन के अभिमान से रहित किया गया हो, और फलेच्छा बिना, राग-द्वेष रहित किया गया हो – वह कर्म सात्त्विक कहा गया है ।

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